मेरी मां
गोंद में मां तेरे, सर टिकाए हुए,
ममता के आंचल, में लिपटाए हुए,
मैं सुबह शाम मां तेरा गान करूं,
तेरे चरणों में सर को, झुकाए हुए।
तेरे कोमल चरण, तेरे पावन नयन,
मेरे सर पे तेरा, हाथ लगे उपवन,
मां सदा तेरे आशीष का भूखा मैं,
तेरा एहसास मां, है मेरा सारा धन।-
तुमसे कहना तो था, कह तो पाया नहीं,
सांसे लेता रहा, पर जी तो पाया नहीं,
आज मौका मिला है तो कहता हूं मैं,
सच में की है मोहब्बत, मैंने गाया नहीं।
जो वादें किए हैं, निभाना भी है,
दूर थामे हुए, हाथ जाना भी है,
मुश्किलों में तो होते है ही आकलन,
मुश्किलों से हमें पार पाना भी है।
बात होती नहीं तो, कहूं क्या तुम्हे?
तुम भी रोती रही तो, कहूं क्या तुम्हें?
कुछ भी होता नहीं मुझसे तेरे बिना,
कैसे जीता हूं मैं फ़िर, कहूं क्या तुम्हें?-
तुम्हें सोचूँ गुलाबों में, महक भी रास आती है,
तुम्हारी याद, तेरे आने की फिर से आस लाती है,
इन्हीं कलियों ने फिर से कर दिया है,
यह चमन गुलज़ार,
तेरे स्वागत में खुशबुएं, नई बरसात लाती है।-
बात क्या थी ये मुझको नहीं था पता,
प्यार की है तो इसमें क्या मेरी खता,
जंग लाखों है जीते मग़र फिर भी मैं,
क्यों हूं बैठा अकेला तू ही ये बता।-
दोस्ती दिल से होती है जुबां से की नहीं जाती,
भरोसा हो अगर उनपे तो कसमें ली नहीं जाती,
सफ़र छोटा बड़ा हो इससे हमको क्या ही मतलब है,
मग़र जितनी भी है तुम बिन अकेले जी नहीं जाती।-
तेरे दर पे खड़ी बारात तुम्हें बधाई दे रही होगी,
तेरे हाथों में लगी ये मेहंदी तुम्हें बलाई दे रही होगी,
इस दिल का क्या, ये तो रो ही रहा है,
गर सुन सको तो सुनो!
इसके रोने की आवाज तुम्हें सुनाई दे रही होगी।-
उसे प्रेम कहुं तो, इच्छा है,
उसे ज्ञान कहुं तो, शिक्षा है,
उसे भुख कहुं तो, भिक्षा है,
उसे त्याग कहुं तो, " दीक्षा " है।-
ये दौलत भी तुम्ही रख लो, ये शोहरत भी तुम्ही रख लो,
जो तेरे साथ का ना हो, वो मोहलत भी तुम्ही रख लो,
तेरी बाहों में साँसें लू यही चाहत है बस मेरी,
मुक्कमल जो ना हो पाया, वो जन्नत भी तुम्ही रख लो।-
खास सूरज में तुम, चांद में खास हो,
जीने मरने की मेरी नई एहसास हो,
छीन सकेगा नहीं साथ तेरा मेरा,
प्रीत की वेदिका तुम मेरे पास हो।
उम्र का कारवां पार कर आऊंगा,
सोच तेरी ही तो सोचकर आऊंगा,
तुम बदल ना जाना मौसम की तरह,
जो किया है मैंने वादा तो फिर निभाऊंगा।-
यमुना किनारे श्याम बंसी बजावें,
गोपियन से घिर रास रचावें,
मधुर मधुर गा मन हर्षावें,
गोकुल वासियों के मन बस जावें।
नयन मधुर श्याम खिल खिल आवें,
होठन पे मुस्कान बिखरावें,
कंकरिया मारे गोपियन सतावें,
यमुना किनारे श्याम बंसी बजावें।
शेषनाग धरि पांव चरा चर,
नृत्य करें घनश्याम धरा पर,
ग्वालन संग श्याम गइयाँ चरावें,
यमुना किनारे श्याम बंसी बजावें।
नंद यशोदा घर खेले हैं मोहन,
पुलकित हो गाएं सबका मन,
मटकी फोड़े श्याम माखन चुरावें,
यमुना किनारे श्याम बंसी बजावें।-