Ritesh Pandey   (रिteश)
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Joined 17 November 2017


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Joined 17 November 2017
28 JUN 2020 AT 10:47

माँ
मुझे तेरी उँगलियों की ज़रूरत है
मुझे याद है माँ की तू किस तरह
मेरे भटक जाने पे अपने सीने से
लगा लिया करती थी।
मेरे लहू को अपने पल्लू से बांध दिया करती थी।
माँ तू कहाँ है मैं रास्ता भटक गया हूं
मुझे तेरी जरूरत है।।

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28 JUN 2020 AT 10:14

Living there is like
shattering distress.

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27 JUN 2020 AT 20:20

No One was
there to understand
You

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27 JUN 2020 AT 20:15

बाद मुद्दत उनसे बात कर यून लगा,
जैसे बेताब दिल को क़रार आ गया।

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27 JUN 2020 AT 20:06

मोहब्बत मे जीना भी
खुशियों का इंतकाल होता है
हमे मालुम न था।

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27 JUN 2020 AT 19:55

कुछ मुझे अपना समझते है
कुछ को मेरा साथ अपनापन लगता है
कुछ कहते है तुम ही हो जो मुझे समझते हो

लोगों के लिए जीते थक चुका हूं मै
अब मुझे कोई अपना चाहिए
जो मेरे सिर को अपने कांधे पे रख कर कहे
कि मैं हूँ ना तुम्हारे साथ ।

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19 MAY 2020 AT 13:27

But in return I got nothing
Other than your silence

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19 MAY 2020 AT 13:23

We never expect to be happen so
When we are at that stage of life
Where we have everything
Where we don't want more than that
Where we are the most beautiful part
Of our life

But That is what we called as
destiny or in other words
karma

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19 MAY 2020 AT 13:07

मोहब्बत एक सुकून है।

मुकम्मल मोहब्बत मुमकिन नहीं सबके
और मोहब्बत मे सिक्स्थ हुए हजार बैठे हैं॥

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19 MAY 2020 AT 13:00

अपनी मुकद्दर को लिये,
खुद की तलाश में
चल पड़ा हूँ मैं॥

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