Ritesh Maagadh   (ऋतेश मागध)
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Joined 12 August 2018


Joined 12 August 2018
14 JUL 2023 AT 8:33

तुम साथ ना हुए तो कैसे जी पाऊंगा
ना कुछ खा पाऊंगा ना कुछ पी पाऊंगा

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13 JUL 2023 AT 11:30

अकेला मैं यहाँ होकर समय को काट लेता हूँ
कभी हँसकर, कभी रोकर समय को काट लेता हूँ
मेरे सीने की मिट्टी सींचकर के आँसुओं से मैं
दुःखों के बीज को बोकर समय को काट लेता हूँ

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4 JUN 2023 AT 19:52

कहीं पर भी मुझे आराम नहीं है
शाम है पर पहले सी शाम नहीं है
यूँ तो मेरे कमरे में सबकुछ है "मागध"
बस खुशियों का ही इंतज़ाम नहीं है

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30 MAY 2023 AT 1:13



अक्सर रो देता हूँ तुम्हें याद करके
ताकि तुम्हारी यादें हरी-भरी रहें

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2 MAY 2023 AT 22:17

चारों ओर है घना अंधेरा
ना कोई ख़ुशहाली है
भीतर में एक शोर है "मागध"
बाहर सबकुछ खाली है

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24 SEP 2022 AT 22:47

अब मुझे दिन, दिन नहीं, न रात, रात लगती है
मातम सी रहती है सुबह, शाम उदास लगती है

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24 SEP 2022 AT 16:15

याद में आपके हम सिसकते रहे
आप आये नहीं सिर पटकते रहे

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17 SEP 2022 AT 23:24

अपने अकेलेपन को कुछ यूँ मिटा रहा हूँ
कि इन आँसुओं के साथ रातें बिता रहा हूँ

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28 JUL 2019 AT 16:26

(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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25 SEP 2021 AT 21:34

ग़म-ए-दिल अपना मिटाऊँ कैसे
तरकीब बता दो तुम्हें भुलाऊँ कैसे

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