Ritesh Kumar   (रितेश कुमार (शेष))
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Joined 14 September 2020


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20 MAR 2024 AT 23:01

हसरत-ए-दिल न पूछ ऐ मसरूफ-ए-जिस्म
तू क्या किसी का होगा जो हर रोज बदला जाता है

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22 JUL 2023 AT 19:04

1 पृथ्वी
7 समुद्र , 195 देश ,
707 आइसलैंड ,
8 बिलियन लोग हैं ,
फिर भी तुम उसके लिए रो रहे हो , जिसको तुम्हारी कोई भी परवाह नहीं है ।

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17 JUN 2023 AT 3:04

वाजिद शेख़ ने क्या खूब कहा कि -

किसने कहा कि वो तुझे दिल से चाह रहा है ,
वो किसी को भुलाने को तेरे पास आ रहा है ।

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17 JUN 2023 AT 2:52

अभी वो मेरी दोस्त है -------
फिर सभी साथ में घाट पर वापस चले आए , फिर अधिवेशन में खाने की भी व्यवस्था थी ,
जिसमें साथ में आए लोगों ने खाना खाने को कहा , मैं अपने दोस्तों के साथ खाने के लिए निकल पड़ा ,
खाना खाने के बाद में अपने दोस्तों के साथ घाट पर वापस आ गया ,
मुझे नींद नहीं आ रही थी , क्यूकी पूरे 1 साल बाद में हरिद्वार मां गंगा के तट पर गया हुआ था ,
मैं गंगा किनारे आकर बैठ गया था , उनमें से कुछ लड़कियां भी मेरे कुछ दूरी पर बैठी थी ,
फिर वो छिपकली भी आकर मेरे पास बैठी उसने कंधे पर हाथ से सहारा लेकर बैठने की कोशिश की ,
फिर वो बैठी उसकी बहन भी मेरे साथ में ही बैठी थी ,
कुछ समय बाद उसकी बहन उठकर चली गई , उसकी बहन ने उसे सोने के लिए कहा ,
उसने आती हूं कहकर वो मेरे साथ में बैठी रही
उसने मुझसे पूरा एक घंटा बात की , इस 1 घंटे मैंने उससे अपनी पुरानी बातें बता दी ,
क्यूकी मुझे उसके अंदर एक अच्छी और सच्ची लड़की दिखाई पड़ी थी ,
उसने मुझे अपने विचारों और बातों से प्रभावित कर दिया था , मुझे उसकी बाते सही लगने लगी थीं ,
फिर वो सोने चली गई , मैं भी सो गया ,
अगली सुबह मैं पहले उठ गया था , मैं उठकर पहले तो गंगा किनारे कुछ देर तक बैठा रहा ,
तब तक कोई भी जगा नही था , मैं उस लड़की के जगने का इंतजार कर रहा था ,
मैं ये चाहता था कि जब वो नींद से जगे तो सिर्फ मुझे देखे ,
To be continued ❣️

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16 JUN 2023 AT 1:04

हरिद्वार में अधिवेशन -
एक छोटी सी ट्रिप थी , सभी को जाना था , मुझे और मेरे साथ कुछ दोस्तों को भी ,
उनमें से एक छोटे से ग्रुप की 5 लड़कियां ऐसे देख रही थी जैसे की पहले से जानती हों,
ट्रेन आई मैं बैठा फिर उनका ग्रुप उसमे से पहले वो छिपकली , जो कि एक पतली सी लड़की थी ,
फिर साथ की लड़कियां , फिर मेरे दोस्त ,
रास्ते में जान पहचान बढ़ गई थी , सभी मस्ती करते हुए जा रहे थे ,
दोपहर से पहले 11 बजे तक हम सभी हरिद्वार पहुंच चुके थे , सभी ने साथ में चलने को कहा,
सभी गए साथ में स्टेशन पर फोटो खींची गई , फिर हम सभी हर की पैड़ी की तरफ बढ़े ,
घाट पर पहुंचते ही सभी थके हुए दोस्त कुछ देर तक बैठे , आराम किया ,
सभी लोगो ने नहा कर अपना अपना खाना मिल बांटकर खाया पिया ,
फिर आराम करने लगे ,
शाम हुई , सभी लोग मां मनसा देवी मंदिर की तरफ चल दिए ,
रास्ते में जाते हुए फिर वही लड़कियों का ग्रुप साथ हो लिया ,
मिलकर साथ चलने लगे धीरे धीरे मंदिर पहुंचे प्रसाद लिया , चढ़ाया फिर वापस चले आए ,
शाम को उस छिपकली को एक चश्मा लेना था उसके चश्मे के चक्कर में उसने कई सारी दुकानें ढूंढी ,
फिर भी उसकी पसंद का न मिला , उसको पीले रंग में गोल फ्रेम में चश्मा चाहिए था ,
फिर रास्ते में एक विकलांग दुकानदार के पास वो चश्मा मिल ही गया , वो बहुत खुश थी ,
उसकी खुशी देखकर मुझे भी खुशी हुई , अभी वो मेरी दोस्त है ।
To be continued ❣️

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7 MAR 2023 AT 9:32

कोई किसी के लिए कहां और क्यों आता है ,
न कोई शख्स अब मेरे रूबरू आता है ,
मिला है दर्द तब तुमको समझ आया ,
मुझे तुम पर भी तरस मेरे हुबहू आता है ।

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11 JAN 2023 AT 21:52

उसे पता था कि मैं दुनिया नहीं मोहब्बत हूं
वो मेरे सामने कुछ भी नहीं छिपाती थी,
उसे किसी से मोहब्बत थी और वो मैं नहीं था ,
ये बात मुझसे ज्यादा उसे रुलाती थी
अली जरियून

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11 JAN 2023 AT 20:59

जरा सी देर में दिल में उतरने वाले लोग ,
जरा सी देर में दिल से उतर भी जाते हैं
-तहजीब हाफी-

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21 NOV 2022 AT 21:53

बागों में बैठे थे तो ये ख्याल आया कि ,
महकते गुलों सा थोड़ा हम भी महक जाते ,
आए हो रवि तो खाली हाथ अरे यार,
शराब लाते पीते थोड़ा हम भी बहक जाते ।

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3 NOV 2022 AT 22:22

सिर्फ एक गलती हुई है , देखो लाखों सवाल हैं,
अगर मैं इस गलती को न पकड़ता या उसके बारे में न सोचता ,
तो शायद ऐसा न होता ,
आज जुदा जरूर हैं मगर "अहसास" तो हो रहा है न ,
तुम्हें इतना तो समझ आ गया है कि,
सच हमेशा "फैसले" करवाता है, और झूठ हमेशा "फांसले",
तुम्हारा ये सोचना भी जायज़ था कि तुम अगर सच बता दोगी,
तो शायद मैं तुम्हें छोड़ दूंगा या तुमसे कभी बात नही करूंगा,
लेकिन तुम गलत थी ,
आज तुम्हारी कमी बहुत ज्यादा महसूस हो रही है ,
तुम्हें भी हो रही होगी , लेकिन जैसा भी हो तुम खुश रहने की कोशिश करना ,
और मैं तो खुश हूं ही ।।

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