Ritesh Gaurav   (✍रितेश✍)
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मैं कोई लेखक नही इतना जानिये जनाब।
अपने जज़्बातों स्याह में डुबो कर उड़ेल देता हूँ।
Joined 21 October 2017


मैं कोई लेखक नही इतना जानिये जनाब।
अपने जज़्बातों स्याह में डुबो कर उड़ेल देता हूँ।
Joined 21 October 2017
29 APR 2019 AT 10:23

चुनावी गीत

(अनुशीर्षक में पढ़े)

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4 MAR 2019 AT 10:45


देश के लिए

(अनुशीर्षक में देखें)

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15 DEC 2018 AT 12:32

आजकल बहुत याद आते है,
तुम, अखबार और वो एक कप चाय....

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15 NOV 2018 AT 15:03

शे'र

कोई पूछता नही तुम्हे! ये,
और कुछ नही मुफ़लिसी है.....

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2 NOV 2018 AT 10:37

मुझे सताते हो क्यूँ बार-बार,
तुम दैर-ओ-हरम में बसते हो क्या....

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1 NOV 2018 AT 21:21

पता ना चला

ये इश्क़ था या किस्सा पता ना चला
बात फैली थी ये कब पता ना चला

रात के तीसरे पहर भी मुझे
क्यूँ ना नींद आई मुझको पता ना चला

आँखों में तेरी तस्वीर बसती थी जो
पलकें झपकाई फिर कुछ पता ना चला

तुम मेरी चाँद थी ये तो माना मैंने
इसलिए मावस का तो पता ना चला

मन में मेरे भी तेरी तो परछाई थी
आज रोशनी में भी उसका पता ना चला

आज दुल्हन के हाथों में मेहंदी रची
हथेली में छुपे नाम का तो पता ना चला

क्या मैं तुमसे कहूँ क्या तुम मुझसे कहूँ
शब्दों से भावो का तो पता ना चला



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26 OCT 2018 AT 13:53

अफवाहों का बाज़ार गर्म हो चला है,
की तुम्हे मोहब्बत करनी आ गयी है....

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22 OCT 2018 AT 11:30

शे'र


मुझे छोड़ तेरी ज़िंदगी में नया इंतखाब हो,
खुदा करे तेरा चेहरा फिर से बे-नकाब हो....

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21 OCT 2018 AT 8:33

शे'र

ये इश्क़ नही दिल का रोग है मियां,
कभी इज़हार से तो कभी इंकार से हो ही जाता है....

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15 OCT 2018 AT 19:17

शे'र


तेरे साँसों से आती हरारत,
अब मुझे बर्फाब सी लगती है....

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