Ritashmi Srivastava  
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Joined 12 March 2019


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Joined 12 March 2019
3 MAY AT 10:14

कहीं ना कहीं ये यादें भी दीमक की तरह होती हैं
जो भीतर ही भीतर हमें खोखला कर रही होती हैं

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25 APR AT 9:50

खुद को संभालती हूं
संभलकर आगे बढ़ती हूं
कुछ दूर चलती हूं
गिरती हूं, बिखरती हूं, संभलती हूं
जहाँ से चलती हूँ
खुद को फिर वहीं पाती हूँ
इस जंग में मैं
खुद को ही खुद का प्रतिद्वंदी पाती हूं

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19 APR AT 16:41

साथ ही मुझे भी अपनी गिरफ़्त में ले रहे हैं।

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19 APR AT 10:51

जिंदगी
कभी हमें खुद से रूबरू कराती है
तो कभी खुद से ही जुदा कराती है
कभी जीने का मकसद देती है
तो कभी उसे ही खत्म कर दिया करती है
कभी सारी खुशियाँ दे जाती है
तो कभी न भरने वाला जख्म भी दे जाती है
कभी यह जीना सिखाती है
तो कभी उससे मुंह मोड़ने का ख्याल भी दे जाती है

जिंदगी अपने इस सिलसिले में
कभी हमें मजबूत बनाती है
तो कभी तोड़ दिया करती है
जिंदगी बस यूं ही बढ़ती जाती है
बिना किसी की परवाह किए
बस खुद मे ही चलती जाती है।।

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5 FEB AT 16:57

खुद को समझाती हूँ
समझ भी जाती हूँ
जब भी जिक्र आता है
बिखर सी जाती हूँ

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28 JUN 2022 AT 14:25

Construction takes lots of time but destruction only few seconds.

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13 SEP 2021 AT 18:56

कभी उम्मीद से बढ़कर दिया है
तो कभी बेहद हताश किया है

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23 JUL 2021 AT 12:45

जब आसमां में पूरा चांद है निकलता
रात्रि की काली,घटाओं को चीरता
कहते हैं उस, रात्रि को पूर्णिमा
पूर्णिमा,पूर्णिमा,पूर्णिमा
है स्वभाव में जिसके सहनशीलता
बातों में जिसकी चंचलता
मन में है जिसके,पुष्प सी कोमलता
है वो मेरी प्यारी सी पूर्णिमा
पूर्णिमा,पूर्णिमा, पूर्णिमा
😘

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20 JUL 2021 AT 1:33

Don't let go from past......live with it... it'll make you either stronger or completely broken....but the things which happened with you or faced by you, that should be always remember in present for better tomorrow...!!

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4 JUN 2021 AT 18:59

Person only realises when he/she suffers......

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