एक बात हमेशा याद रखना, आपकी औकात से ज़्यादा जीवन में आपको कोई नहीं देगा।
अनंत अंबानी की शादी में मुकेश अंबानी ने अपने कर्मचारियों को आलू भुजिया दी क्योंकि उनकी आलू भुजिया खरीदने की औकात है।
वहीं मुकेश अंबानी ने कुछ स्पेशल गेस्ट को 2 करोड़ रुपए की घड़ी दी क्योंकि उनकी वह घड़ी खरीदने की औकात है।
सिंपल से फंडा है, इस दुनिया में हर चीज़ आपकी औकात के अनुसार ही मिलती है।-
जिनसे मोहब्बत हो उनके लिए जगह बना ली जाती है। फिर चाहे वह घर हो, दिल हो या ज़िन्दगी।
वहाँ बहाने नहीं बनाये जाते!!-
प्रत्येक बच्चा विशेष और अद्वितीय है। उनके
लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करके उनके बचपन को यादगार बनाएं।
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।-
आपके जीवन में हर तरह की खुशियों के लिए दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ। इस शुभ अवसर की गर्मजोशी और भव्यता आपके जीवन को खुशियों और उज्ज्वल उत्साह से भर दे, और आने वाले वर्ष में आपके लिए खुशी और समृद्धि लाए। यह दीपावली अपने साथ नई उम्मीदें, उज्जवल दिन और नए सपने लेकर आए।
किसी के साथ वाली,
किसी के एहसास वाली!
कुछ नई सी, कुछ पुरानी सी,
आओ मनाएं दीपावली अपनी सी।-
“दीपावली” और “दिवाली” इन दोनों में सही शब्द है “दीपावली”, जो कि “दीप” शब्द में “आवली” की संधि होने से निर्मित हुआ है और जिसका अर्थ है “दीपों की पंक्ति”।
संस्कृत से निर्मित शब्द लोकभाषा में प्रयोग किये जाते समय उच्चारण दोष से ग्रस्त होते रहे हैं, फलस्वरूप आपकी-हमारी “दीपावली” भी “दीवाली” से “दिवाली” तक आ गई।
बचा-खुचा काम हर चीज को ‘हैप्पी’ बनाने वालों ने पूरा कर दिया, सो “हैप्पी दिवाली” चल पड़ा, हालाँकि ये प्रयोग सुविधाजनक तो है किन्तु उचित नहीं है, क्योंकि “हैप्पी” में “शुभ” के शुभत्व का संस्कार और गौरव सन्निहित नहीं, बल्कि यह पर्व की आध्यात्मिकता को समेटकर केवल उसे भौतिक-शारीरिक खुशियों तक ही सीमित कर देता है, बचा “दिवाली” तो वो तो वैसे ही सही नहीं है।
जब हम सही जान चुके हैं, तो उसे ही क्यों ना अपनाएँ।
“हैप्पी दिवाली” की जगह आगे से “शुभ-दीपावली” मनाएँ।
अनुरोध पर विचार कीजिये।-
जब 23 अंक फिर से कैलेंडर में आएगा तब न तुम होंगे न हम होंगे।
काश उम्र इतना लिहाज रखे कि ये आंकड़ा फिर से देख सकूँ।
काश मैं उन लोगों को देख सकूँ जो 2123 में होंगे। काश मैं उस दौर को देख सकूँ जो 2123 में होगा। लेकिन मुझे पता है ये मुमकिन नहीं, तब हमारी खबरें गुमनाम होगी।
जिंदगी ने गम तो दिए है पर दुनिया खूबसूरत जगह है,
यहाँ यारों की महफिलें हैं, यहाँ जिन्दगी का शोर है।
सौ साल बाद दोस्तों हम में से कोई नहीं होगा! हमारी कब्रें गुंजान हिस्सों में खो चुकी होगी, कुछ दफन, कुछ हड्डियाँ बोसीदा हो चुकी होगी, मिट्टी में मिल गई होगी।
तो कोशिश करें, यहाँ रहने का वक्त खुशगवार गुजरे कोई रूह, कोई जिस्म, ऐसा ना हो जो अपने साथ जख्म लेकर जाए और इन जख्मों का इल्जाम हमारे सर हो।
राजनीति का मैदान हो, खेल का मैदान हो या खूनी रिश्तों की कहानी, जिधर देखो एक दूसरे से नफरत, दुश्मनी, असहिष्णुता और असमानता की भावना प्रबल होती नजर आती है।
एहसास, प्यार, चाहत और ईमानदारी से खाली, खोखले रवैये हमें खुद से ही नहीं, जिन्दगी से भी दूर कर रहे हैं।-
अच्छी यादों का वसूल है कि वो अक्सर बुरे वक्त में आती हैं।
और बुरे वक्त का वसूल है की वो शर्म नहीं करता।
बस! शर्मिंदा करता है।-
रिश्ते कभी जिंदगी के साथ-साथ नहीं चलते!
रिश्ते एक बार बनते हैं, फिर जिंदगी रिश्तों
के साथ-साथ चलती है।-
अजीब किस्म के हैं हम लोग भी!
जो गिरते हुए तारे से अपने उड़ने की ख्वाहिश मांगते हैं।-