इतना तो दम रखते हैं ज़नाब,
महफ़िलें सुनी लगती हैं हमारे बिना..!
💪😍🤙-
उसके गालों🙆 का रंग
बिल्कुल चाय जैसा है,
बस फिर क्या आंखें बंद की
और चुस्की💋 ले ली😘👨❤️💋👨-
उम्र की डोर से फिर
एक मोती झड़ रहा है..
तारीख़ों के जीने से
दिसम्बर फिर उतर रहा है..
कुछ चेहरे घटे,
चंद यादें जुड़ी,
गए वक़्त में..
उम्र का पंछी नित दूर,
और दूर निकल रहा है..
गुनगुनी धूप और
ठिठुरी रातें जाड़ों की..
गुज़रे लम्हों पर झीना-झीना
सा इक पर्दा गिर रहा है..
ज़ायका लिया नहीं और
फिसल गई ज़िन्दगी..
वक़्त है कि सब कुछ समेटे
बादल बन उड़ रहा है..
फिर एक और दिसम्बर गुज़र रहा है..
लो इक्कीसवीं सदी का इक्कीसवॉं साल लग रहा है..!-
Kuch to bikhra bikhra sa hai
Khwab, khwahish, ya mera man...
Pyar na hone se bhi fark pdta hai
Pyar ke na hone se bhi,...
Dosti tutne se bhi frk pdta hai
Dost ke ruthne se bhi,...
Sbdon se kh ni pata
Pr fark bhot pdta hai,..
Kuch muthi bhar log h is zindgi me
Jb wo bhi dheere dheere dur hote h
To fark to pdta hai,...
Dil rota h face hasta hai
Pr dil ko frk pata hai...😟-
हसरतों के सिक्के लिए
उजालों को खरीदने निकले थे हम,
उम्र की पहली गली में ही
जिम्मेदारियों ने लूट लिया !!-
एक नशा सावन महीने का
दूजा सोमवार का,
लाडला माता पार्वती का और
भक्त हूँ महाकाल का..!
🔱🕉️🔱-
आज कुछ और नही
बस इतना सुनो,
❤️
मौसम हसीन है मगर तुम से नहीं...-
क्या बेचकर
हम खरीदें फ़ुर्सत,
ऐ ज़िंदगी
सब कुछ तो गिरवी पड़ा है
जिम्मेदारी के बाजार में.!
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