किसी ने पूछा, तुम्हें तकलीफ़ नहीं हुई,
बहुत सोचने पर लगा मुझे तकलीफ होगी भी क्यूँ
जबसे उसे जाना, मैंने समझा
उसकी हर एक बातें सच,
उसकी हर एक वादें सच,
उसका हर एक रिश्ता सच,
मैंने तो बस सच ही समझा,
पर जब ये पता चला, सब एक भ्रम में बंधा है सिर्फ़,
वो भ्रम जो उसने बनाया,
कुछ सच था ही नहीं उसके बारे में,
कुछ सच था ही नहीं हमारे बारे मे,
तो झूठ से बना घरौंदा कब तक ही टिकेगा,
झूठ की दीवारें कितनी ही दूर चलेंगी,
कभी तो टूटना ही था इन्हें, तो टूट गयीं
और भैया अब झूठ के लिए तकलीफ क्यूँ होगी.. 🙂
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