तूफ़ान-ए-समंदर के ख़ौफ़ से सफ़र-ए-साहिल को किसी भी क़ीमत पर रुकने ना देना!
जंग-ए-ज़िन्दगी के ख़ौफ़ से अपने हाथों से हौसले की शमशीर को किसी भी क़ीमत पर गिरने ना देना!
अंजाम-ए-अमल क्या होगा इसकी परवाह किये बग़ैर आगे बढ़ जा और याद रख!
इन मीलों लम्बी राहों के ख़ौफ़ से सफ़र-ए-ज़िन्दगी को किसी भी क़ीमत पर रुकने ना देना!
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Musaafir Safar-e-Zindagi Ka.
दरिया-ए-ख़्याल में उठती लहरों को अलफ़ाज़... read more
बेशुमार शायरों के अंदाज़-ए-सुख़न को बेहद ग़ौर से
सुनती है
बेशुमार आशिक़ों की दास्तान-ए-मोहब्बत को बेहद ग़ौर से
सुनती है
ये क़ाबिल-ए-तारिफ़ हमदर्द वही ख़ूबसूरत रात की तन्हाई है जो
बेशुमार मुसाफ़िरों की दास्तान-ए-सफ़र को बेहद ग़ौर से सुनती है-
इस दुनिया को रौशन करने वास्ते सूरज ख़ुद को जला
देता है
अपनी ठंडी चाँदनी बिखेरने वास्ते चाँद को ख़ुद को गला
देता है
मर्ज़-ए-इश्क़ भी कुछ ऐसा ही है दोस्तों जिसमें
अपने मेहबूब के वास्ते एक सच्चा आशिक़ ख़ुद को मिटा
देता है-
एक लंबे अरसे बाद आज जब मैंने अपनी कलम उठाई
तब समझ ना आया कि लिखूँ ग़ज़ल या रुबाई
कलम ने की मुझ से ही मेरी बेख़याली की शिक़ायत
और अलफ़ाज़ों ने लगाया मुझ पर इल्ज़ाम-ए-रुसवाई-
इस ज़ालिम दुनिया में दरियादिली के बदले मिलता है सिर्फ़ मुफ़लिसी का सवाब
जफ़ाकश और इमानदार शख़्स के हमेशा पूरे नहीं होते ख़्वाब
नहीं रहता इख़्तियार किसी को अपने अंजाम-ए-अमल पर ये याद रख
और छुपा ले अपने आँसुओं को पेहनकर चेहरे पर नक़ली हँसी का नक़ाब
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आग़ाज़-ए-सफ़र-ए-मंज़िल से पहले अंजाम की फ़िक्र पाल लेना तुम्हारी फ़ितरत में शामिल नहीं
दुनिया के ज़ुल्म-ओ-सितम से ख़ुद को कमज़ोर समझ लेना तुम्हारी फ़ितरत में शामिल नहीं
तुम वो ज़िन्दादिल इन्सान हो जो हँसते हुए बहुत अच्छे लगते हो क्योंकि
पहली नाक़ामी पर अपना दिमाग़ी तवज़्ज़ुन बिगाड़ लेना
तुम्हारी फ़ितरत में शामिल नहीं-
चाहे लाख बरसें नाक़ामियों की तीरें तुझ पर, बुलंद हौसले की ढाल लिए डटे रहना
चाहे लाख करे दुनिया बदज़बानी तेरे साथ, उसे अनसुना करते हुए आगे बढ़ते रहना
बदहवासी और ना-उम्मीदी की तेज़ आँधियों की वजह से
चाहे लाख बने तुझ पर ज़ेहनी-दबाव, कभी ख़ुद को कमज़ोर नहीं करना-
जहाँ आती है तन्हाई बनकर सच्चा क़दरदान
जहाँ आते हैं तारे रात के साथ बनकर क़ाबिल-ए-इज़्ज़त मेहमान
घर के इसी अँधेरे कोने में सजती है इस गुमनाम शायर की मेहफ़िल
जहाँ आता है देने किरन-ए-माहताब की बख़्शीश आसमान-
अल्लाह-त'आला अता फरमाए आप सभी को दुनिया की ख़ुशियाँ सारी
मयस्सर हो क़ामयाबी आपको और आपके क़दम चूमे ये दुनिया सारी
दर्द-ओ-अलम रंज-ओ-ग़म रहे हमेशा कोसों दूर आप से
ईद पर रंग लाए ये दिल की दुआ हमारी-
अगर कोई यूँ ही तुम्हें दोस्त कहकर पुकारे तो समझ जाना उसके तर्ज़-ए-ग़ुफ़्तगू में ख़ुदगर्ज़ी शामिल है
अगर कोई यूँ ही तुम्हारी हद से ज़्यादा तारीफ़ करे तो समझ जाना उसके तर्ज़-ए-ग़ुफ़्तगू में चापलूसी शामिल है
इस ज़ालिम मतलबी दुनिया के लोग तब तक तुम्हें पूछेंगे जब तक तुम्हारी जेब में है रियासत-ए-दौलत इसलिए
अगर कोई यूँ ही तुम से करे ताउम्र वफ़ादारी का वादा तो समझ जाना उसके तर्ज़-ए-ग़ुफ़्तगू में धोखेबाज़ी शामिल है-