अगर डरते हो अँधेरे से,
तो ये दिन अभी ढलना बाकी है।
तमन्ना है किसी खास से मिलने कि,
तो पहले खुद से रूबरू होना बाकी है।।
डर है कि इस सफर में कैसे अकेले चलोगे तुम,
तो जान लो.... कि,
ये जो गिने चुने लोग है, उनका भी चले जाना बाकी है।
इंतजार है नये साल के आने का,
तो अभी ये साल आधा बाकी है।।
पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है वो,
उसमें कहीं जीने की आस अभी भी बाकी है।
अभी राख़ कहाँ हुआ है वो,
उसमें फिर से दहकने के लिए आग कहीं बाकी है।।
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