एक शाम अंधेरी कहीं मिल जाए वो,
खो जाऊं मैं और खो जाए वो।
जब ढूंढे हम किसी को,
कोई ना मिल पाए तो,
शाम और गहरी शाम हो,
कहानी अभी खत्म ना हो,
जब शाम अपने चरम पर हो,
सिरहाना बनूं मैं और सहारा बने वो,
एक शाम अंधेरी कहीं मिल जाए वो,
खो जाऊं मैं और खो जाए वो।
एक नदी का किनारा हो,
और कोई तराना हो,
जब वो शाम एक रात हो जाए,
फिर उसका हाथ मेरे हाथ हो जाए,
उसकी आंखों मे मै और मेरी मे खो जाए वो,
एक शाम अंधेरी कहीं मिल जाए वो,
खो जाऊं मैं और खो जाए वो।
जब वो गहरी रात खत्म होने आए,
और सुबह अपनी रोशनी के साथ आए,
जब वो और मैं अपने अपने रास्ते को जाए,
फिर कहीं इस मतलबी दुनिया मे न खो जाए,
इंतजार रहेगा फिर उस अनजानी शाम का,
जब फिर से खो जाए वो और खो जाऊं मैं।।-
#student
ये गुजरता वक़्त कभी चिल्लाता है,
तो कभी बड़ी शांति से जाता है।
पर जब भी उसका चेहरा सामने आ जाता है,
ये वक़्त शुरुआती वक़्त ही दिखलाता है।
मुश्किल है संभालना खुद को,
पर खुद को संभालते संभालते ये वक़्त फिर गुज़र जाता है।।-
मैं परिंदा इस आसमां का
बस उड़ना ही तो बाकी हैं।
उड़ी जिस दिन, देख तू भी
बस खुलना ही तो बाकी है।
आसमां ये अनंत है,
अनंत मे न अंत है।
मैं परिंदा उस आसमां का
जहाँ उड़ना थोड़ा मुश्किल है।
उड़ूँगी इस आसमां में
पंख सारे फैलाकर,
देख तू भी मुझको
मैं परिंदा इस आसमां का
बस उड़ना ही तो बाकी है।।-
Only I love you with my style
Not in your style
Or not in that style
in which you love me-
रंग तो सारे ही लाजबाब होते हैं
पर कुछ रंग मन को कहां भाते है
कभी अंधेरे का काला रंग लाजबाब लगता है
तो कभी यही अंधेरा बहुत डराता है
कभी दिन की खूबसूरती भी
इतनी चुभती है कि
आसमान भी डराने लग जाता है-
भ्रम इतना गहरा था,
जो पल भर मे टूट गया।
खूबसूरत इतना था,
कि पलक झपकते ही रूठ गया,
ख्यालों के बादल में
ख्वाबों की बारिश का पानी बनकर
एक गहरे समुद्र में छूट गया।।-
मुझे चैन से सोने दो,
मुझे खुद में ही गुम होने दो,
थक गई हूँ इस मतलबी दुनिया से ,
अब मुझे इस दुनिया से गुम होने दो।
कोई नहीं है अपना, सबको अपने आप में रहने दो,
कोई किसी को नहीं समझता ,
अब बस खुद ही खुद को समझने दो,
मुझे खुद में ही गुम होने दो।
किसी को कुछ समझाओगे तो,
खुद ही उलझ कर रह जाओगे ,
ये दुनिया है जनाब तुम फिर अकेले ही रह जाओगे ।।-
हमारे फैसलों के पीछे का राज
लेकिन लोगों को
हमारे फैसलों में कमी यूंही मिल जाती है-
दुआ तो मेरी तुम्हें पाने की थी,
पर ये मुस्तजाब न हुआ।
मगर खुदा ने तुम्हें मुझसे मिलाकर ही
मेरी दुआ मुस्तजाब कर दी ।।-
ख्वाब न जाने कितने देखे
उन ख्वाबों में तुम भी थे।।
थे तुम जिन ख्वाबों में
वो ख्वाब न जाने कहाँ गुम गये।-