यूं ही नहीं गलतियां हमसे बार बार हो जाती है,जिंदगी सुधारने की हमें पूरी कोशिश करती है। -
यूं ही नहीं गलतियां हमसे बार बार हो जाती है,जिंदगी सुधारने की हमें पूरी कोशिश करती है।
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किसी रेल सा गुजर गए तुम,मैं ट्रैक के नजदीक घर सा थरथराते रही। -
किसी रेल सा गुजर गए तुम,मैं ट्रैक के नजदीक घर सा थरथराते रही।
हाल मत पूछा करो तुम हर वक्त मेरा,अब यूं ही मैं हाल ए दिल बताया नहीं करती। -
हाल मत पूछा करो तुम हर वक्त मेरा,अब यूं ही मैं हाल ए दिल बताया नहीं करती।
राख़ के कारोबार से,इश्क़ कर रहे हो,जला कर सिगरेट को,आग अपने अंदर ही लगा रहे हो। -
राख़ के कारोबार से,इश्क़ कर रहे हो,जला कर सिगरेट को,आग अपने अंदर ही लगा रहे हो।
इश्क़ कर भी रहे हो तो उससे, जिसका राख करने का कारोबार है। -
इश्क़ कर भी रहे हो तो उससे, जिसका राख करने का कारोबार है।
कितने भी अच्छे बन जाओ,किसी ना किसी के कहानी में बुरे जरूर रहोगे। -
कितने भी अच्छे बन जाओ,किसी ना किसी के कहानी में बुरे जरूर रहोगे।
बात दो चार दिनों की हो या दो चार अरसों को,ढलती शाम के साथ,ढलती नहीं यादें। -
बात दो चार दिनों की हो या दो चार अरसों को,ढलती शाम के साथ,ढलती नहीं यादें।
उतार लिया करो, चेहरे से नकाब अकेले में जनाब,दीवारें चेहरा पढ़ना नहीं जानती। -
उतार लिया करो, चेहरे से नकाब अकेले में जनाब,दीवारें चेहरा पढ़ना नहीं जानती।
कैद है हर वो मंजर,जिसे तुम समझ कर नजारा भूल गए। -
कैद है हर वो मंजर,जिसे तुम समझ कर नजारा भूल गए।
उनसे नज़रें मिलाए,जिनकी नज़रों से नजरें नही हटती थी! -
उनसे नज़रें मिलाए,जिनकी नज़रों से नजरें नही हटती थी!