कभी फुर्सत से जरा बात किया करो,
दो पल ही सही,
जरा हमें भी याद किया करो……-
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मुकद्दर भी कहता कहा वफ़ा ठहरा,
किस्मत भी देखो बेवफा ठहरा,
जिसे हमने दिलो जान समझा,
वो परछाई भी अब हमसे खफा ठहरा।-
आज लगा कि सब ठीक होगा
फिर कुछ पल में दिल समझ गया,
वो कही दूर बैठी रुक गई, और
मैं यही उसके इंतजार में उलझ गया……।-
जब भी सोचू की मौत कैसा होगा,
तो जवाब आता है,
जैसा भी होगा जिंदगी से अच्छा होगा…।-
न कोई ख्वाब रहा,
जिसके शमा में खो सकू……।
न अब कोई कंधा रहा,
जिसपे सर रख के रो सकू…… ।-
मैं निराश जिस बया से हूं,
की चिंतित उस हवा से हूं।
हां विचलित जिनके जाने से,
मैं हर्षित भी उनके मुस्कुराने से हूं।
मैं चाहूं उनके उमंग को
मैं मानू उनके प्रसंग को
बस वो आवाज़ दे, मैं हूं यही
वो जो कहे, मैं वही, चलो माना
मैं गैर सही, मै गैर सही, मै गैर सही
मुझे लगा मैं ख़ास हूं,
कुछ अच्छा, कुछ बुरा एहसास हूं।
फिर अचानक से खबर आती है,
वो एक पल में नज़र घुमाती है।
मैं हैरान, उस वक्त क्या कहूं,
ना शब्द रहा, न दिल में जान रहा,
आंखों की कुछ बूंद से बस मैं परेशान रहा।
वो जो चाहे उन्हें सब मिले
खुशियां मिले, खिताब मिले
मैं जब भी ढूंढू वो कामयाब मिले
जरूरत हो तो
बस वो आवाज़ दे, मैं हूं यही
वो जो कहे, मैं वही, चलो माना
मैं गैर सही, मै गैर सही, मै गैर सही-
मशहूर जिनके इश्क में,
मैं वहीं दरिया दीवाना हूँ।
जिसकी मोहब्बत का मुरीद रहा,
वहीं कहे कि, मै बेगाना हूं।-