हम समझदार अच्छे बनते रह गये
शायद इसलिए हम अकेले रह गये।-
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जान
तुम तो फूल थी
मगर मैं भँवरा नहीं था
मैं बारिश की बूँद था
जो तुम पर ठहर कर
होना चाहता था मोती।-
यूंही नहीं दूर के सितारे हुए हैं हम
लोगों द्वारा बहुत नकारे हुए हैं हम-
सड़क किनारे कई बच्चों ने रखी है भूख हड़ताल
मांग यही है की कोई उनको रोटी खिला दे।-
Kon hai jo apni tanhaiyon pr garv karte hai
Thoda sa pyar to hum bhi deserve karte hai-
मुद्दतों एक शख्स की आयी नहीं खबरें
एक शख्स ने चोखट पर गढ़ाई हैं नज़रें-
यूँ तो मेहफ़िलों में आता नहीं है ख्याल तेरा
पर तन्हा होता हूँ तो तुझे याद करके रोता बहुत हूँ-
मुश्किल था किसी पहाड़ पर चड़ जाना
मुश्किल था किसी के बाग से चोरी करके लिचियाँ तोड़ना
मुश्किल था पहली बार किसी फूल को तोड़ना
मुश्किल था अपराध करके आराधना करना
मुश्किल था पहली बार तुमसे अपने प्यार का इज़हार करना
मगर इन सबसे ज्यादा मुश्किल था तुमको बेवफा कहना
जमाना अगर खातों का होता तो मैं तुमको बेवफा ना कहता
मैं सारा दोषी मान लेता पोस्टमेन को
की शायद उसी ने खत तुम तक ना पहुंचाया होगा
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मेरा दिल टूटा तो
मैने लिख दी अपने दुख पर कविताएँ
"की मेरा दुःख है पहाड़ कोई
सुने मेरे दर्द की दहाड़ कोई"
बस इतना ही लिख पाया था मैं की
उधर पहाड़ पर सड़क का काम करते
किसी मजदूर के हाथ में फट जाता है कारतूस
उसका दुःख दिल टूटे दुःख से भी बड़ा है
मगर उसके हाथ में फटा है कारतूस तो
वो अब अपना दुःख लिख भी नहीं सकता-
Ek galti ye ki ki Dost se ishq kr baithe hum
To usse bichad gye hum khud ko saza dene k liye
एक गलती ये की, कि दोस्त से इश्क़ कर बैठे हम
तो उससे बिछड़ गये हम खुद को सज़ा देने के लिये।-