कभी कभी सोचता हूं.. मैं गलत था .. मेरी मोहब्बत गलत थी.. वक्त गलत था ...
या वो लड़की गलत थी ..
लेकिन आज महसूस होता है सिर्फ मेरी मोहब्बत सही थी बाकी सब गलत था ..
मैं अपनी सच्ची मोहब्बत का यकीन दिलाने में गलत साबित हो गया..
और वो मेरी मोहब्बत को गलत साबित करने में सही ..
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नींद के तकाजे अलग है जिस्म के तकाजे अलग,
किस को कहूँ के आज की रात तू समझौता कर ले...-
सीख रहा हूँ मैं भी अब मीठा झूठ बोलने का हुनर,
कड़वे सच ने हमसे, ना जाने, कितने अज़ीज़ छीन लिए।-
सब परिंदे उड़ गए है धीरे-धीरे छोड़कर,
बागबां अब है अकेला उम्र के इस मोड़ पर...-
ख्बाब, ख्वाहिशें और लोग जितने कम हो,
ज़िन्दगी उतनी ही अच्छी होती है...-
अल्फाज अक्सर अधूरे ही रह जाते हैं मोहब्बत मे,
हर शख्स किसी न किसी की चाहत दिल मे दबाये रहते हैं...-
तमाशा होता तो लोग खूब आते देखने को,
बात दर्द सुनने की थी तो हर शख्स बहरा निकला...-
फासलो से अगर मुस्कराहट लौट आये तुम्हारी,
तो तुम्हें हक है कि तुम दूरियाँ बना लो मुझसे...-
हा अगर क्या हुआ जो मुझे मंज़िल ना मिला..
मुशाफीर मेरा ज़रा थक सा गया था ..-
मै जानता हूँ कहानी का आखिरी मंजर,
मै रोकता रहूँगा और वो चली जायेगी...-