Rishi .   (ऋषि)
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Joined 23 June 2019


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Joined 23 June 2019
22 JUN 2023 AT 8:43

बहुत मेहनत लगी है इस किरदार को बनाने में
जमाने को जमाना लगेगा इसे हराने में

आज हम है तो कल हमारी यादें होंगी
जब हम ना होंगे तो हमारी बातें होंगी...

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15 AUG 2022 AT 16:51

हरा हो या केसरिया
किसी धर्म से न इसको जोड़ो
रहने दो आजाद विचारों को
तुम हर दिल में तिरंगे को जोड़ो

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11 APR 2022 AT 12:15

चेहरा

दुश्वारियों का वक्त आ गया है
कुछ नकाब आप भी लगा लो
शराफत से अब जाग जाओ
माथे पे क्रांति का निशान आप भी लगा लो

खुशियों से भरी इस जिंदगी में
नफरत का मौसम सख्त है
मीठे में मिला है जहर संभल जाना तुम
हो सके तो अब एक पहचान आप भी बना लो

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20 JAN 2022 AT 21:31

बादल से बारीश इसलिए भी होती है
कि जिन पौधो को पानी नहीं मिल पा रहा उन्हें मिले

आग की तपन के बिना कुन्दन का बनना आसान नहीं



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28 NOV 2021 AT 10:53

क्या गिला करें क्या शिकवा करें
उम्र के उस मोड़ पर आ पहुंचे हैं
कम बोला करें और कम सोचा करें

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24 SEP 2021 AT 14:43

सैनिक

मैं आज जहां खड़ा हूं , वहां अपने गर्व से भी बड़ा हूं
मैं एक साधरण सैनिक हूं, सरहदों पर खड़ा हूं
मेरा जो फर्ज है उसे, मैं मरते दम तक निभाऊंगा
सिने में गोली खाकर ,धरती मां की गोद में सो जाऊगा
कटा दूंगा सर अपना, पर तेरी आबरू को बचाऊगा

एक फर्ज तू भी अदा करना
शाने शौकत से ऊठाना जनाजा मेरा
तू मेरी कब्र पर अश्को को न जया करना
हो सके तो गर्व से तू मेरी मौत को बंया करना

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6 AUG 2021 AT 22:34

कभी दोस्तों के साथ ,
तो कभी अकेले ही सही ।
फुर्सत में बीत जाय कुछ पल,
तो गुरबत ही सही।
तेरे नाम से पिला दे कोई ,
तो मोहब्बत ही सही ।।

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27 JUL 2021 AT 9:57

मिठास यूं ही जुबान पे नहीं लगी ,
बहुत प्याले लगाए हैं इन होठों से।

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23 APR 2021 AT 2:48

इस बरस कहर ज्यादा है।
थम सा गया है ये जंहा ।
वायरस का जहर ज्यादा है।।

बिगड़े हैं हालात इस कदर ।
की बहक जाता है आसंमा ।
रातों का पहर ज्यादा है।।

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16 MAR 2021 AT 21:37

उसे कुछ कहने के लिए
मुझे दस बार सोचना पड़ता है
वो सामने से निकल जाती है
बाद में हर पल तड़पना पड़ता है

नजदीक रहता हूँ हमेशा उसके
उसे छूने से परहेज करना पड़ता है
आँखों में कौनसा खंजर वो रखती है
कि महोब्बत में उसकी हर पल मरना पड़ता है

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