Rishav Shandilya   (रिशव पार्वती शांडिल्य)
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Joined 18 December 2017


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Joined 18 December 2017
9 DEC 2024 AT 19:19

उससे मिलने की बात हुई और मैं पागल हो रक्खा था
जल्दबाज़ी में कपड़ा चबा कर बर्तन पहन रक्खा था

उसके हाथों से परवरिश उसके सारे बच्चों में गयी
ये और बात है कि उसने मेरा कंगन पहन रक्खा था

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23 JUN 2024 AT 12:06

हम ऐसे इश्क़ के मारे हुए लोग है
पड़ जाए जब इश्क़ में तो उम्रें नहीं देखते

एक बाँह चाहिए बस सर रखने के लिए
छोटे हो, बड़े हो, हम फिर कमरे नहीं देखते

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20 OCT 2022 AT 16:18

उसकी बिंदी मेरे आईने पे सटी रह गयी
वो शायद माथे पर अब चाँद सजाती होगी

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18 OCT 2022 AT 16:51

वो आंखें जब भी हया से झुकाती हैं
मेरा हवस प्रेम में बदलता जाता है

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16 OCT 2022 AT 9:31

रूह, जिस्म और तक़रार इसमे मत उलझियेगा
ये मोहब्बत है जनाब, थोड़ा अदब से कीजियेगा

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15 OCT 2022 AT 8:36

हम शज़र से फल सा टूट जायँगे
तुम तबियत से एक पत्थर तो फेंको

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13 OCT 2022 AT 21:48

मिल कर तुमसे मेरा दिल-ओ-दिमाग नही भरता
गागर में पानी भरने से उसका सुराग़ नही भरता

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12 OCT 2022 AT 12:07

पानियों पे पत्थरों का असर रहता हैं
फेंकने वाले को कहाँ ख़बर रहता हैं

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11 OCT 2022 AT 12:15

तेरी तस्वीर छुपाई थी कमरे में जो मिल नही रही
दीवाली आने की ख़ुशी मुझमे लोगों से अलग हैं

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9 OCT 2022 AT 12:19

तुमसे आख़िरी बार मिलते वक़्त
छोड़ दूँगा कुछ अधूरा तुममे
उसे पूरा करने के लिए तुम
हमेशा दोबारा मिलना

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