💖 Rishav Kumar 💖   (💞 Rishav 💞)
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Joined 21 May 2018


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9 JUN AT 22:46

जहाँ तलाश ख़ुद से शुरू होकर ख़ुद पर ही खत्म हो

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कुछ बातें जो पन्नों में सिमट सी गईं,
उन बातों को क्यों अब हवा देना है।
जाने दो जो चला गया है अपने ही मन से,
क्यों उसकी यादों में खुद को सज़ा देना है।

हम ख़ास थे, ख़ास हैं, और ख़ास ही रहेंगे,
किसके लिए रहेंगे ये क्यों अभी से बता देना है।
ये हमारी ज़िन्दगी है, इसे हमें ही जीना है,
क्यों अब किसी के ख्यालों में खुद को जला देना है।

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24 MAY AT 23:17

खुद को इतना मजबूत बनाओ
कि समुंदर की ऊँची ऊँची लहरें भी
तुम्हे तुम्हारे सपनों को छूने से ना रोक पाए।

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22 MAY AT 23:23

मेरे क़दमों से महक उठे ये सारा जहाँ,
मैं आऊं और तेरे लफ्जों से इजहार हो जाए।

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9 MAY AT 21:19

जो तलाश रहे हो वक़्त से पहले,
वो एक दिन मिल जाएगा,
मगर जो मिल जाए वक़्त से पहले,
वो तुम्हारी ख़ुशियाँ भी साथ ले जाएगा।

इंतज़ार करो उस पल का
जब समय खुद चलकर आएगा,
सही वक़्त पर जो मिलता है,
वो न सिर्फ़ ठहरता है,
बल्कि तुम्हें संवार भी जाता है।

जल्दबाजी में जो हाथ आता है,
वो अक्सर चला ही जाता है।
और जो वक़्त पर आता है,
वो हमेशा के लिए रह जाता है।

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9 MAY AT 21:04

कुछ ख्वाब अधूरे रह जाते हैं,
कुछ अपने ही अजनबी बन जाते हैं।
चल पड़ो, दोस्त, अपनी राह पर,
क्योंकि मोहब्बत की दुकानों में
अब दिल नहीं, सौदे होते हैं।

सड़कों पर कटोरा लेकर
अगर मोहब्बत मांगने निकलोगे,
तो शायद कुछ सिक्के गिरेंगे उसमे
पर उन सिक्कों में न वफ़ा होगी
और न ही उसमे कोई मोहब्बत होगी।

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2 MAY AT 21:50

बस मौन ही रहना है मुझको।
टूट चुका हूँ कहकर सच में,
अब और नहीं सहना है मुझको।

आँखों में अब ख्वाब नहीं,
दिल में भी अहसास नहीं।
जिनसे थी कुछ उम्मीदें सारी,
अब वो भी मेरे पास नहीं।

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1 MAY AT 20:01

कॉर्पोरेट मज़दूर बनकर सीखा हूँ,
कि सब कुछ पैसा नहीं होता।
माना कि इसमें पैसा बहुत है,
पर उसको लेने की कीमत भी बहुत होती है।

कितनों की रातों की नींद उधार चली जाती है,
और आँखों के नीचे के साए स्थायी हो जाते हैं।
दिन भर की थकान, मीटिंग की मार,
मेल के बम, और बॉस की फटकार।

एक चेहरा मुस्कुराता हुआ स्क्रीन के उस पार,
पर अंदर टूटती जाती है हर एक दीवार।
लंच का वक़्त स्लैक पर बीतता है,
और ब्रेक भी सिर्फ़ कैलेंडर में दिखता है।

पर फिर भी चलते हैं, जिए जाते हैं,
क्योंकि ख़्वाब अब कॉफी के कप में घुल जाते हैं।
कंपनियों के ख्वाबों को अपना बना कर
अपने सपनों को धीरे-धीरे जला रहे हैं।

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30 APR AT 23:53

हर चाभी से नहीं खुलते ज़िन्दगी के बंद दर,
कुछ को मिलती है राह, कुछ रह जाते हैं बेख़बर।
पहले ही वार में जो पा ले दर का राज़,
वो कहलाता है "ख़ुशक़िस्मत" हर इक अंदाज़।

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29 APR AT 22:41

जो चाभी सही ताले में पहली बार लग जाए,
वो 'क़िस्मत का सितारा' कहलाए।
और जो हर दर पे उलझ जाए राह में,
वो 'नसीब का मारा' कहलाए।

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