जिन्हे क़ैद करना चाहता था समाज ग़ुलामी की दीवारों में,
आज तोड़ कर दीवारें नारी आज़ाद है भरे जमाने में..!-
Yu door door rahte ho kyo
Paas aao to koi baat ho
Jee bhar ke dekhna hai tumhe
Tum bhi dekh kar muskurao to koi baat ho...!-
तू जूनून है, सुकून है, राहत है,
तुझे कैसे बताऊँ बस तू ही मेरी चाहत है...!-
आज उनसे मिलने को चला हूँ मैं,
पता नहीं अंजाम क्या होगा...
बस इतना जानता हूँ कि...
उनके साथ बिताया हर लम्हा खूबसूरत होगा...!-
तू जूनून है, सुकून है, राहत है,
कैसे बताऊँ तुझे बस तू ही मेरी चाहत है...!-
तू जूनून है, सुकून है, राहत है,
कैसे बताऊँ तुझे बस तू ही मेरी चाहत है...!-
शायद ये खूबसूरत चांद छिपने वाला है इन घने बादलों में,
पर मुझे क्या...?
क्यों फ़िक्र करूँ मै उस चाँद की,
जब मेरा चाँद मेरे पास है,
वो चाँद मेरे लिए कुछ भी नहीं शायद
पर मेरा चाँद मेरे लिए खास है...!-
फिक्र तो है तुम्हारी
लेकिन...
बताना नहीं चाहता
जताना नहीं चाहता
दिखाना भी नहीं चाहता,
सच तो यह है कि अगर तुम दुखी हो
तो मैं भी.... मुस्कुराना नही चाहता...!
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मैं तूफानों में चलने का हुनर जानता हूं
सफ़र बेहद कठिन है ये मानता हूं,
आसान नहीं है मंजिल की राह
मैं ये बात बखूबी जानता हूं
भरोसा है खुद पर कि पहुंच जाउंगा,
मैं ख़ुद को बहुत अच्छे से पहचानता हूं..!-
तेरे सजदे में सर
अपने आप झुक जाता है
माँ...
क्या करूँ....
भगवान् को कभी देखा ही नहीं..!-