तेरी याद ना जानें रात को ही क्यों आती है
दिन की उलझनों में ना जानें कहा खो जाती है
ढूंढता हूं दर बदर तुझे हर एक नए चेहरे में
पर रात होते ही बस तेरी झलक सामने आती है
सोचता हूं कभी, तू शायद किसी और के पास जाती है
शायद मेरी चाहत में तू भी इधर उधर मंडराती है
और ना कहूं में किसी से मेरे दिल में क्या है
क्या तू भी मुझे उतना ही याद करके आंसू बहाती है
हाय ये तेरी याद..... रात को ही क्यों आती हैं
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आंखे नम थी दिल भरे थे
लेकिन हम उनके साथ खड़े थे
रोहित और कोहली ने विराट साहस दिखाया था
जसप्रीत और समी ने भी कहर ढाया था
आज अगर ना चले तो कोई गिला नहीं
तुम जाबाज थे हमारे, हमारे लिए लड़े थे
और ये भारत साथ था तुम्हारे तुम हताश ना होना
अगर आज दुःख है तो क्या हुआ, भूलेंगे नहीं आपने कल सुख भी दिए थे
कल फिर से नया दौर आएगा
रात पुरानी हो कर ,भारत सूरज को, फिर मुंह दिखायेगा
और रण में ये योद्धा फिर से उतरेंगे
जब भारत के जन घोष से फिर से लड़ेंगे
और देखना इस बार ,एक कदम आगे होगा भारत
आखिरी पायदान नही मंज़िल को मुक्कमल करेगें 🇮🇳🇮🇳-
मेरी मोहब्बत ने ही मुझसे मुंह मोड़ लिया दूसरो से शिकवा क्या करू
हां गलती रही होगी मेरी बेशक पर ख़ुद से अब बगावत क्या करू
और दोहरा रवैया हो गया है मेरा
कि दोहरा रवैया हो गया अब मेरा
उसको चाहूं तो भी दुःख हैं और ना चाहूं तो भी क्या करू
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आज ख़ुद से निराश हूं
आज मैं हताश हूं
जिन्होंने साथ दिया मेरा
उन्ही के ना साथ हूं
स्वभाव मेरा बदल गया
जो ऋषभ था वो अब ढल गया
ना जाने किस मोड़ पर खड़ा हूं
बाहर से हूं पुरा पर अंदर से मैं जल गया
वो जान जान कहती थी
वो हाथ थाम लेती थी
छोड़ दिया क्यों उसे
वो क्या जान मांग लेती थी
ख़ुद पर अब शक है
तू इंसान नहीं बस भक्षक है
और तूझे रिश्ते निभाना ना आए ऋषभ
तू सिर्फ दो कोढ़ी का दक्षक है
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तुम यदि प्रेम नहीं करते, तो तुम पूर्ण नहीं हो
तुम केवल कृष्ण को मानते हो तो सम्पूर्ण नहीं हो
एक राधा रानी के पीछे मतवाला था वो ग्वाला
तुम इंसान को इंसान नहीं समझते तो परिपूर्ण नहीं हो-
इंतज़ार रहता है उन्हे भी, पर अब हम इंतज़ार नहीं करते
और कहने को तो बहुत कुछ है, पर अब हम अपना इज़हार नहीं करते
और लोग पूछते है ऐसा क्यों है तुम्हारे साथ
मैं कहता हूं ऐसा नहीं था मैं पहले, बस हम अब किसी पर ऐतबार नहीं करते-
तुम नूर तुम हूर ,तुम आसमान हो मेरा
तुम जमी तुम कमी ,तुम आख़िर मुकाम हो मेरा
और तुम्हे नज़र ना लगे तोबा मेरी कभी भी
तुम नशा तुम हया ,तुम हर रात का ज़ाम हो मेरा-
जब राम कभी बन सकते ना हो, सीता की आश करो ना तुम
वन में भटके थे संग संग उस, अनुज की सांस भरो ना तुम
और वो पुरषोत्तम वो जजमानी ,जिसने मोह को छोड़ दिया
उस अटल विचारी ज्ञानी देव, राम की बात करो ना तुम-
नन्हें कदमों से दौड़ तक का, सुहाना किस्सा था
कि नन्हें कदमों से दौड़ तक का, सुहाना किस्सा था
वो ज़िंदगी में खुशनुमा, बचपन का हिस्सा था
और लोग आए और गए मेरी ज़िंदगी से
कि लोग आए और गए मेरी ज़िंदगी से
पर वो ठहरा रहा इस दिल में, क्योंकी वो अनकहा सा किस्सा था....-
यह मेरा स्वाभिमान है यह मेरा अभिमान है
मैं गर्व करता हूं पावन धरा का, जो हिंदी से जुड़ा मेरा नाम है
हिंदी सिर्फ़ भाषा नहीं यह हिंदुस्तान की आन है
और जो कहता है इसे, वो भारतेंदु सा महान हैं
अक्षुणता और एकता के बीज इसने रोपे हैं
अंग्रेजो ने इस पर न जानें कितने कानून थोपे हैं
यह डिगी नहीं यह मिटी नहीं, अपने पथ से यह हटी नहीं
आज़ादी का सारत्व दे, स्वतंत्रता के कमल इसने सौपे है
इसलिए हिंदी के गुण बहुत अनोखे है गुण बहुत अनोखे है ......
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