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सबका रास्ता नज़र आ जाता,
हम तो फिर भी इंसान, साहेब!
उनका क्या, जो अपनो से ही इम्तिहान लेते।
-ऋषभ रंजन
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बस इतना की उसको मेरे नाम कर दे;
कितना मांगू बार-बार ये दुआ तुझसे,
बस अब तो तू उसको मेरे पास कर दे।
-ऋषभ रंजन-
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सब कुछ हो जाता है,
जो न होना हो वो भी... जो होना हो वो भी,
चादरों से लिपटे एक बहाना मिल जाता है,
इस रात के इशारे पे सब सुहाना मिल जाता है।
-ऋषभ रंजन-
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सब समझ आएगा,
लेकिन उसी बात को ताना मारोगे,
तो वो समझने वाला बात भी...गुस्से में बदल जायेगा,
फिर तुम प्यार से बोलोगे,
समझने की कोशिश करो,
आज नहीं तो कल पक्का आयेगा,
तब तो पुरी दुनियां समझ जायेगा।
- ऋषभ रंजन-
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यूं अचानक तुम्हारे पास आना,
लेकिन सोचा भी नहीं था,
की ये इश्क़ होगा इतना सुहाना,
करूंगा लिहाज़ हमेशा तुम्हारा,
बस तुमसे आज...,
यही दरखास्त है हमारा।
- ऋषभ रंजन-
तुमने देखा नहीं!,
ये हुस्न कितना खूबसूरत तेरा;
ये हुस्न भी एक इम्तिहा,
जो बस तुझपे ही फ़िदा मेरा ।
- ऋषभ रंजन-
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ये हुस्न कितना खूबसूरत तेरा;
ये हुस्न भी एक इम्तिहा,
जो बस तुझपे ही फ़िदा मेरा ।
- ऋषभ रंजन-
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जीना... जो तुम छोड़ गई;
इन अंधेरी चिरागों में सोचते ही,
तुम मुझे ही अकेले छोड़ गई।
-ऋषभ रंजन
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अपनों का इशारा ही समय है;
जैसे समय में सुख भी दुख है,
वैसे ही दुख में सुख देते है साथी।
-ऋषभ रंजन-
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राजा और रानी की तरह;
जब हुकुम की बात हो,
तो सामने आएगा ही कौन?
-ऋषभ रंजन
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