ख्वाहिशें मर चुकीं है मेरी, मत पूछ में क्या चाहता हुँ ।
रोज़ कोस के अपनी क़िस्मत, रो कर सो जाता हुँ ।-
शिकायत नहीं करता अब किसी के दिल दुखाने पे,
बिना वजह भी सजा पायी है मैंने।-
अच्छाई याद करके अक्सर माफ़ कर देता हूँ मैं,
लोगो को सिर्फ़ मेरी बुराई नज़र आती हैं।-
ख़ुशनसीब है वो लोग, जो उनका दीदार कर लेते हैं।
हम देखने को तरस जाते है उनकी तस्वीर से बात कर लेते हैं।-
अलग होना, अलग होने से पहले ही शुरू हो जाता है।
जिसने ठान लिया जाना, वो कहाँ ठहर पाता हैं।
फिर किए जो वादे, खाई जो क़समे वो काम नहीं आते
अक्सर उसकी आज़ादी के आगे मेरा इश्क़ हार जाता है।-
मोहब्बत के आख़िरी पलों में अपनी बाँहो में सुला लेना
आखें खुले तो उठा देना, ना खुले तो दफ़ना देना
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पता नहीं क्यों, अब तुम्हारा ख्याल नहीं आता हैं।
क्या किसी को इतना सताया जाता है ।
फ़ना कर दिया हमने यादों को तुम्हारीं
फिर भी महफ़िल में तुम्हारा ज़िक्र निकल आता है ।-
इश्क़ कितना है हमें इश्क़ से
हमें तो उनके चेहरे की झुर्रियाँ भी पसंद हैं।
तो क्या हुया वो चले गये और मशरूफ़ है नयी ज़िंदगी में
उन्हें जाना था तो जाने दिया, हमें तो इश्क़ में दुरिया भी पसंद है ।-
मलाल है मुझे, मेरे अच्छे स्वभाव का
मलाल है मुझे, मेरे अच्छे स्वभाव का
धोखे देने वालो को मैंने हँसते हुए देखा है-
रुख़ जो बदले उनके, तो हम भी बदल गये
रुख़ जो बदले उनके, तो हम भी बदल गये
अपनी क़ब्र खुदने का इंतज़ार थोड़ी करते-