Rishabh Kumar   (RISHABH KUMAR)
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Wish me on 17 July @birtday_hai_mera_iss_din
Joined 30 April 2020


Wish me on 17 July @birtday_hai_mera_iss_din
Joined 30 April 2020
30 APR 2021 AT 13:50

सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर.. चीख भी लेता हूँ और आवाज भी नही होती.....!

आसान नही है मुझसे यूँ शायिरयों में जीत पाना ! मैं हर एक शब्द मोहब्बत में हार कर लिखता हूं !! सामने मंज़िल थी और पीछे उसका वजूद; मैं भी क्या करता यारों;

रुकते तो सफर रह जाता चलते तो हमसफ़र रह जाता। एक उसूल पर गुजारी है ज़िन्दगी मैंने.... जिसको अपना माना उसे कभी परखा नहीं...!

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30 APR 2021 AT 13:49

उठ के पहलू से वह जब जाने लगे
गम के बादल निगाहों पर छाने लगे
जब सितारे शहर के लगे डूबने
अश्कों के दिए अब जगमगाने लगे

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27 APR 2021 AT 19:33

यूं ही चलते रहिए जिंदगी के सफर में इस ट्रेन की तरह क्या पता थकने से पहले एक दिन मंजिल जरूर मिल जाएगी
आज हम जिंदगी के उस मोड़ पर खड़े हैं जहां पर रुके तो सफर छूट जाएगा ना रुके तो हमसफर छूट जाएगा

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23 APR 2021 AT 7:54

Thank

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23 APR 2021 AT 6:54

दुखिया किसान हम हैं, भारत के रहने वाले,
बेदम हुए, न दम है, बे-मौत मरने वाले।

इंसान बन के आए, गो पाक इसी ज़मीं पर,
हमसे मगर हैं अच्छे, ये घास चरने वाले।

चक्की मुसीबतों की, दिन-रात चल रही है,
करके पिसान छोड़े हमको, हैं पिसने वाले।

दुनिया है एक तन तो, हम आत्मा हैं उसकी,
लेकिन कुचल रहे हैं, हमको कुचलने वाले।

अफ़सोस हाय! हैरत, किस पाप का नतीजा,
सबसे हमी हैं निर्धन, धन के उगलने वाले।

सर पर हैं कर बहुत-से, कर मंे न एक धेला,
घर पर नहीं है छप्पर, वस्तर उधड़ने वाले।

जुल्मो-सितम के मारे, दम नाक में हमारा,
भगवान तक हुए हैं, पर के कतरने वाले।

फुरसत नहीं है मिलती, इक साल काल से है
दाने बिना तरसते, नेमत परोसने वाले।

ऐ मौज करने वालो, कर देंगे हश्र बरपा,
उभरे ‘चकोर’ जब भी, हम आह भरने वाले!

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22 APR 2021 AT 6:56

चेहरों पर मुस्कान दिलों में लेकर खाई बैठे हैं
करके सारे लोग हिसाब-ए-पाई पाई बैठे हैं।
आज बसीयत करने वाले हैं बाबूजी दौलत की
घर में पहली बार इकट्ठे सारे भाई बैठे हैं।

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11 MAR 2021 AT 8:06

Many heartiest wishes to all of you at Mahashivratri

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16 FEB 2021 AT 16:21

हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम,
हर बार तुम से मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं,

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13 FEB 2021 AT 22:01

एक आंसु भी गिरता है
तो लोग हजार सवाल पूछते हैं
ऐ बचपन, लौट के आजा
मुझे खुलकर रोना है

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13 FEB 2021 AT 21:56

क्या लिखूँ अपनी जिन्दगी के
बारे में दोस्तों
वो लोग ही बिछुड़ गए
जो जिन्दगी हुआ करते थे

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