Rishab Sen   (Ashk_writter)
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Poeter
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Joined 1 February 2019


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10 MAR 2022 AT 12:59

उजड़ी हुई फसले , टूटे हुए सपने और रोता है किसान
ऐ बारिश तेरा यूँ आना कोई खुशी की बात नही

ना दिन देखा ना रात , खून पसीने से फसल को सींचा है
और उस फसल पर सजाये है , ना जाने सपने कितने
उसके सपनो को बाह ले जाये तू , इतना तो एक किसान गुनेहगार नही ...
ऐ बारिश तेरा यूँ आना कोई खुशी की बात नही

बसंत ऋतु में जब तू आती है , घनघोर घटा छाती है
झर-झर गिरता नीर अम्बर से , किसान के चेहरे पर मुस्कान लाती है
मगर यूँ बेवक़्त तेरे अगम पर , तुझे अपना अपना सकू इतनी तो मेरी औकात नही ....

ऐ बारिश तेरा यूँ आना कोई खुशी की बात नही ........

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15 NOV 2021 AT 18:12

इन , इश्क़ की राहों में हम मिलकर बिछड़ जाएंगे ।
इस इश्क़ को तेरे नाम हम लिख जाएंगे ।
हालात चाहे दे ना तम्हारा साथ , मगर तेरा साथ हम निभाएंगे ।
और, मुकदर में नही लिखा तो क्या हुआ..
मगर , इस दिल पे फक़त तेरा नाम लिख जाएंगे ।

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4 OCT 2021 AT 20:33

तेरी 'आँखों' में गुजर रही है ये श्यामे.....
कोन , जाने कब इनसे किनारा होगा ।
और एक उम्र बीत चली है , 'तेरी यादों' के सफर में..
कोन जाने , तुमसे मिलना कब दुबारा होगा...

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21 SEP 2021 AT 21:12

मेरा 'दर्द' तेरी यादें है
इनकी 'मलहम' तेरी बातें है
तुझे शुरू तो नही ,
पर तुझमे 'खत्म' होना चाहते है..
और इस 'नादान दिल' की हसरत तो देखो....
उससे नजरे मिलाने की 'हिम्मत' नही.
मगर, 'संग उसके जीना' चाहते है...

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16 AUG 2021 AT 13:17

एक अजनबी सी रात होगी ।
मेरी 'अंधेरी' तो तेरी सितारों की 'सौगात' होगी
जब मुकम्मल सी 'यादे' अधूरी रह जाएंगी
थर थरआते होंठ होंगे और 'आँखे नम' रह जाएंगी
बिखरे से बाल होंगे और शिशे के आगे बस तुम रह जाओगी
तब अनजान 'रास्तो' पर अजनबियों में भी 'हम' नजर आएंगे
हम 'तेरे' तो होंगे पर 'तेरे ना' रह पाएंगे
एक अजनबी सी रात होगी.....

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17 FEB 2021 AT 11:31

नहीं नहीं मोहब्बत नही थी वो..

वो पल दो पल की बारिश थीं
वो एक सोची समझी साजिश थीं...

और घुटनो पर बैठ किया था, हाल ए दिल बयां उसने...
रहना मेरे दिल मे धड़कन की तरह कुछ ऐसी गुजारिश थी.......
नहीं नहीं मोहोब्बत नही थी वो ...... ।

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16 MAY 2020 AT 17:30

जो वादे करते थे , "साथ जन्म" के
'हाथ' पकड कर मेरा...
आज वो अपनी, "राहे बदल" दिया करते है
'चेहरा' देख कर मेरा....

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15 MAY 2020 AT 16:06

तू , अगर "रूठा होता"...
तो , तुझे कब का मना लेते ।
पर अफसोस
तू रूठा नही , बदल गया है ।।

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10 MAY 2020 AT 17:41

एक माँ....
जिसकी राते मुझसे , जिसका मैं था 'सवेरा'
आँखों से अश्रू पी जाती , जब देख लेती 'चेहरा मेरा'
और , हर रात वो सवेरे के इंतज़ार में 'जाग' कर बिताती
की कल आएगा "बेटा" मेरा
इंतजार करती है , वो मेरा...

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9 MAY 2020 AT 17:05

तुम हो समुंदर , मैं आकाश हूँ

तुम हो अनंत , मैं आगाज हूँ
तुम हो कविता , मैं अल्फाज हूँ
और जो बांधती हो धागे तुम मजारो पर
मैं उन्ही धागों में लिपटा , तम्हारा विश्वास हूँ
तुम हो समुंदर , मैं आकाश हूँ ।।

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