एक दिल दर्द से फट गया सज्जा देख उसको लाल जोड़े में
आज वो बना बैठा है अमानत किसी की और फिर वक्त ना लगा मुझे बर्बाद होने में
ये आशिकी ये जाहिल पन फायदा क्या अब तो मजा है उसकी यादों की याद होने में — % &-
देख तेरे अंदर भी एक समंदर छुपा है।
न कोश यूं किस्मत को अपनी उस लिखने वाले ने हर एक शख्स को इस कायनात में बड़ा खास लिखा है।
कर तलाश खुद की खुद ही तू इन छोटी-छोटी कामयाबी का मंजर बड़ा है।-
उस मां ने पूछना ही था मेरे चेहरे के पीछे छुपी उदासी देखकर ये हुनर खुदा ने हर मां को बक्सा है।
जहां टूट जाए और छोड़ दे साथ हर रिश्ता वहां मां जीने का सिखाती रस्ता है।
कोई कहता मां के पैरों के नीचे जन्नत कोई कहता मां के आंचल में ठंडक ये मेरा मानना हर मां में खुद खुदा बसता है।
मिलकर देखा इस जहां से मैंने मगर मां जैसा निस्वार्थ मन कौन रखता है।
और तोलदु इन लफ्जों से तो कैसे लफ्ज़ अधूरे मेरे गुरुवाणी गीता कुरान मां ब्रह्म ज्ञान का नक्शा है।
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अब वो समझे तो सुकून आए मेरे अंदर की सच्चाई झूठी नहीं इस दुनिया से वो वास्ता ना रखे।
अगर वो खुद में मुझे महसूस करता नहीं तो बेहतर है मुझे अपना ना रखे।
आते हमें भी थे कभी दुनिया भर के फरेब जब से वो मिला हमने कभी दिल के आईने पर पर्दे ना रखे।
मेरे लिखे हुए पन्नों को संभाल कर रखने का कहता है और फिर हम भी मन उसका क्यों ना रखें।
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उस एक शब्द की जुस्तजु में गुजर रही है जो अंदर की जुस्तजु को बयां करें।
थक गया मैं इस सफर में क्यों ना मंजिल ही अब राब्ता करें।
है थक्कन से चूर ये आंखें उस खयाल को कहो सोने दे अब ऐसा ना करें।
अपने ही शहर में ढूंढता है जैसे ठिकाना कोई ऐसे भी कोई खुद को खुद से जुदा ना करें।
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बिखरे हुए मिले कुछ पन्ने चंद लफ़्ज़ों से लिपटे हुए थे।
क्या बताता मैं किसी को किसी का साथ छूटने का दर्द मैंने सब जख्म गिने हुए थे।
एक चेहरे से उदासी अलग हो ना सकी शायद पिछले जन्म में कर्म बुरे हुए थे।
किसी परिंदे ने बारिश में दम तोड़ दिया वो उड़ ना सका उसके पंख तन्हाई से भीगे हुए थे।-
सताया हुआ बहुत हूं अंदर से इस जमाने की चालाकीयों ने।
मैं शिकायत करूंगा खुदा से निकल कर इस भीड़ भरी वीरानियां से।
क्यों झुकाने में लगा है एक दूसरे को हर कोई क्यों बनते हो गुनहगार इन नादानियां से।
आखरी हश्र हर एक का राख है यहां क्या उम्मीद रखते हो इन चाहत की निशानियों से।
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लिख कर भी क्या जताऊं उसे वो जो इस भीड़ का होने लगा है।
समझ के मेरी आदतें उसने समझा दिया चाहत का क्या सिला है।
आंसुओं से लिख दूं उसको या फिर कलम से अमर करूं मिलकर बिछड़े जब वो फिर मुझसे मिला है।
आदतें सारी खराब है मुझ में उसने तो दिल रखने के लिए कह दिया मेरा साथ उसे किस्मत से मिला है।
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खुदा करे उसकी जिंदगी में खुशियों का मकाम आए।
वो खुद बने वजह अपनी हंसी की मेरा ना उसमें नाम आए।
एक दिल की कीमत बाजार ए मोहब्बत में ही मिल सकती है शायद कभी ये दिल उसके काम आए।
टूट सकती है रिश्ते की डोर भुलाया नहीं जाता मेरी दुआ है कभी ना किसी रिश्ते का ये अंजाम आए।-
किसी को खास हुनर से नवाजा उसने किसी को अपना हुनर खुद निखारने का जिम्मा दिया।
कोई गिरता है तो टूट जाता है किसी को गिरकर उठने का सबर दिया।
हमारी सोच से कोषो दूर है जिंदगी की हकीकत बस यु समझ लो एक माली ने फूल को पानी दिया और खुशबू आते ही तोड़ लिया।-