अज़ीब कश्मकश है
कभी लगता है वक़्त ठहर जाये
कभी लगे जल्दी गुजर जाये ....!!-
कहने को तो हमें 77 साल हो गए, क्या सच्चे मायनों में आज़ाद हो पाए हैं हम?
हर दिन हिंदुस्तान के किसी कोने में, निर्भया जैसी घटनाएँ हो रही हैं, और ये दरिंदे खुलेआम घूम रहे हैं।
क्या इस विकृत मानसिकता से कभी आज़ादी मिलेगी? हम भी कुछ दिन ट्रेंड्स चलाएंगे, प्रदर्शन करेंगे, फिर भूल जाएंगे।
कल बस चेहरा, नाम पता बदलेगा, क्रिया वही घिनौनी होगी।
न बैठ सकते हम सरकार और सिस्टम के भरोसे, अब हर किसी को दुर्गा बनकर, रक्षा खुद की करनी होगी !
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ।
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तारों सी जगमग आयोध्या
फूलों की चादर से ढंकी
इंतजार में भाई भरत
तीनों माँ अधीर खड़ी
खत्म हुई वनवास कि अवधि
राम अवध में लौटें है
राम अवध में लौटें है !!-
बरेली के झुमके भी बेरंग से लगते है हमे ,
जब तक न देख ले तुम्हारे कानो में इन्हे 💓💟-
har kavita mein meri khud ka जिक्र dekkr
चाँद ko gurur ho gya
Jab hui mulakat uski mere चाँद se
शर्म se चुर ho gya....!!-
Janab chand ko to dekho
Hmare chand ko bhuk se tadpa rha hai..😷😁-
जरा तो खायक रखो ऑक्सीजन की किल्लत का
यु बालकनी से न निकला करो
भीगी जुल्फों के साथ
सांसें जो थम जाती है ......।-
Baby kar de kabhar
apne dady ko
Hum aaye sahar tuje lene ko ...
Tesla meri bahar khadi hai
Raat bhar se charge lagi hai
Front seat meri khali hai
Tu hi to gharwali hai ....-
तुझे किसकी तलाश
किस बात पे हताश
जब माँ तेरे साथ
माँ से पावरफुल नाम बता दे
उसके बिना अंजाम बता दे
मुशकिलो मे सबसे आगे आऐगी
खुदा से लडना पडे टकराएगी !
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