जिसने 'आह' तक नही किया मेरे गिरने पर
वो ख़ाक खुश होगा दोस्त, मेरे उभरने पर?
त्वरा-
Rinku Shah
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tvara_writings
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Joined 19 December 2017
21 MAY AT 22:19
21 MAY AT 19:21
जख़्म गहरे, उपरी नही होते,
न होते है कम ज्यादा।
वो होते है या नही होते,
उनका पता होती है
"रुह" ।
त्वरा-
20 MAY AT 20:20
उसने पलटकर देखा नहीं इस दफ़ा मुझे,
क्या मेरा परेशान होना मुनासिब होगा?
कर दो ख़ारिज कुछ रवायतें इश्क़ की अब!
त्वरा-
19 MAY AT 23:11
बिना कोई दस्तक दिए,
न दस्ताने उतारेंगे अपने,
न बोझ कंधे से रखेंगे जमीं पर,
न आवाज़ देंगे तुम्हारे नाम को,
न घड़ी मिलायेंगे, मिलने के लिए,
न करेंगे बातें किसी भीगी शाम की,
न भरेंगे इंतज़ार आंखों में महीनों से।
बस फुरसत निकालकर बता देना,
एकबार, खुलकर,
मिलने का ग़र मन न हो।
लौट जाएंँगे हम
शहर अपने।
त्वरा-
15 MAY AT 8:05
पर्दे में रख सको तो रख लो दिल को,
यहाँ हर एक के हाथ में, ख़ंजर तेज़ है ।
त्वरा-