वो महंगे कप और सामान संभला सा है आज भी
बहोत लंबा अंतराल हो गया दोस्तों को मिले हुए।
जंग चढ़ जाता है, न मिलने से, दोस्ती और रिश्तों पर।
त्वरा-
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वो जो कभी मिल नहीं पाते एकदूसरे से, तुम्हारे कैमरे में ख़ुशी ख़ुशी कैद हो जाते है।
कोई तो जादूगरी है जो तुमको आती है, दोस्त।
त्वरा-
तेरे इंतज़ार को 'मौसम', तेरे आने को 'किस्मत' कहा है,
हमने तेरे होने भर को, अपने ख़ुदा की 'रहमत' कहा है!
त्वरा-
है खुशबु तेरी, साँसों से मेरी, लिपटी हुई,
तेरे बाद का मौसम बस 'सावन' है पिया।
त्वरा-
तुम चाहे कितना भी ऊँचा बोल लो,
सच पहुँच जाता है अपनी ऊँचाई पे।
कुछ बातें हो जाती हैं साबित, ख़ुद ब ख़ुद।
त्वरा
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खिल जाते हैं फूल बिना बताएं किसीको,
जैसे हो जाती हूँ मैं, दिसंबर, सितंबर से।
मौसम ए इश्क़ का है ये असर देखो।
त्वरा
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फूल, पत्तें और बारिश भी,
सितंबर रोक नहीं पाएँ है।
तुम्हारा आना ही जवाब है हर मौसम का।
त्वरा
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हमने पढ़कर किताबें
ये समझा है
ये जाना है।
ज़िंदगी सबको
एक ही सबक
बस
अलग अलग
तरीकों से
सिखाती है।
त्वरा-