Rinku Nigam   (रिंकू निगम)
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Joined 22 August 2019


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Joined 22 August 2019
13 MAY 2023 AT 10:18


हर्फ़-ए-बयान में एक नाम आ गया
एक रोज़ सुख़न भरा पैग़ाम आ गया
इश्तिहार छपा था एक मुद्दत पहले जो
उस दीवान का क़िस्सा तमाम आ गया

उनकी बेरुख़ी भी भाती रही बहुत हमे
पर मेरे इस कूचे में ख़ाली सलाम आ गया

मुरीद हूँ मैं आज भी उस नफ़ीस मुखड़े का
रौशन-ए-हयात का नक़ाब सरेआम आ गया

मैं ठहरा हूँ अपनी मुफ़लिसी को ज़िंदा करके
अपना कहकर हर एक शख़्स हराम आ गया

एक तरफ़ा चाहत में नज़रे उतारू भी तो कैसे
जिस दिल का हर हिस्सा गुमनाम आ गया ।

- रिंकु निगम ( रौनक़ देहलवी )

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18 APR 2023 AT 23:14

एक लम्हे को बखूबी मोड़ा है मैंने
एक राग उसके होठों पर छोड़ा है मैंने
ये हुनर है मेरी मुफ़लिसी का रौनक़
ख़्याली चाहत को जकड़ के तोड़ा है मैंने |

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17 APR 2023 AT 23:50



एक पुरानी गली में वो मकान आज भी बाक़ी है
इस चेहरे पर हल्की मुस्कान आज भी बाक़ी है
रहता है दिल-ए-दीवार पर बस एक ही सवाल
क्यों इश्क़ के दरख़्त पर निशान आज भी बाक़ी है ।

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18 DEC 2022 AT 21:51



आज कल दिल में रखा एक कौना ख़ाली है
मेरे इश्क़ के बाग़ीचे में रहता एक माली है
एक ताज के दीदार में मैं आगरा चला आया हूँ
ये न समझना इस चाहत के पुलाव ख़्याली है !

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2 NOV 2022 AT 1:35

सोचता हूँ के आर्ज़ू-ए-ग़म क्यूँ रहें मुख़ालिफ़ मेरा
जब दिल में किसी पाक-ए-नज़र की तिश्नगी न रही

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25 OCT 2022 AT 23:29

करवटों में सिमटी चाहत का अंजाम हुआ हूँ
क्या मुलज़िम मैं आज फिर सरे आम हुआ हूँ
देखो जानम तुम ऐसे ज़ुल्फ़ों को न उठाया करो
इन ज़ुल्फ़ो की अंगड़ाइयों का ग़ुलाम हुआ हूँ

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13 OCT 2022 AT 13:33

देखा मैंने साहिल को दरिया के पानी में
फिर आग क्यों लग जाती है जवानी में
देखो कच्ची उम्र में तजुर्बा कम ही होता है
जवानी न्योछावर न करना किसी मस्तानी में

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3 OCT 2022 AT 0:11


जीवन में बस यही एक, मलाल रह गया
मेरी महोब्बत का सवाल, सवाल रह गया
कोई उम्मीद भर भी न चली मेरे दरम्यान
चाहत के इस कूचे में बस, बवाल रह गया

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17 SEP 2022 AT 22:56


ये इश्क़-ए-जज़ीरा बहुत तंग करता है
एक तरफ़ा चाहत को मेरे संग करता है
ये जानता है मैं इसकी बातों में आ जाता हूँ
चाहत तो दूर कमबख़्त मुझसे जंग करता है !

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1 SEP 2022 AT 21:11

रूठी हो महोब्बत तो दिल आशिक़ाना चाहिए
हमें तो उनकी आँखो में उतरने का बहाना चाहिए
वो ख़ूब कहा जिसने एक आग का दरिया है इश्क़
यानी चाहत के दरिए को बनाने में ज़माना चाहिए ।

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