खुशी का कोई बहाना
बस तुम भुल ना जाना कभी मुस्कुराना-
हम शायर हैं जनाब, जज़्बात लिखते हैं।
पकड़ लिया हाथ मैंने उस अनजान का
और चल दिया जिंदगी के सफर पर
इस उम्मीद में कि सफर की मंजिल खूबसूरत होगी
और यकीं मानिए मैं जी रहा हूँ इस सफर को
क्यूँकि ये हैं ही इतना रोमांचक मेरे हमसफर के साथ
और मैं बस आँखे बंद कर सफर का आनंद ले रहा हूँ
बिना इस फिक्र के कि मंजिल कैसी होगी
जब तक हमराही ने हाथ थाम रखा हैं
मंजिल कैसी भी हो, खूबसूरत ही होगी
©️ रिंकु जोशी-
मेरा प्रेम किसी नदी के बहते पानी जैसा हैं
और तुम उस नदी पर बने किसी बाँध जैसे..-
आसान हैं खुद का गिरना और दूसरों को गिराना
अगर मुश्किल हैं तो किसी गिरते हुए का हाथ पकड़ कर उसे आगे बढ़ाना-
मेरी जिंदगी जिसने सवारी
वो नाम एक था।
मुझे रोते हुए जिसने हँसाया
वो नाम एक था।
मुझे गले से जिसने लगाया
वो नाम एक था।
मुझे पलकों पर जिसने बिठाया
वो नाम एक था।
मुझे अपना सब कुछ बनाया
वो नाम एक था।
मुझे भव-सागर से जिसने तारा
वो नाम एक था।
वो श्याम एक था…
वो श्याम एक था..-
सत्य से बड़ी कोई साधना नहीं
ना मोक्ष से बड़ा कोई धाम
प्रेम से बड़ा कोई धर्म नहीं
ना परहित से बड़ा कोई काम-
काश, मैं बन जाता वो मोर पंख
जो कान्हा के मुकुट पर हैं सजता
काश, मैं बन जाता वो कुंडल
जो कान्हा हैं अपने कानो में पहनता
काश, मैं बन जाता वो टीका
जो कान्हा अपने माथे पर हैं लगाता
काश, मैं बन पाता वो कजरा
जिसे कान्हा नैनों में हैं भरता
काश, मैं बन जाता वो बाँसुरी
जिसे कान्हा हैं अपने अधरों से लगाता
काश, मैं बन जाता वो कंगन
जो कान्हा की कलाई में हैं सजता
काश, मैं बन पाता वो घुँघरू
जो पहन पैरों में कान्हा छम-छम हैं चलता
काश, मैं बन पाता फूल उस माला का
जिसे कान्हा अपने गले में हैं धारण करता
काश, मैं बन पाता कुछ भी हिस्सा उस रूप का
जिससे मेरा कान्हा हैं सबको मोहित करता
अब बन ही गया हूँ एक मनुष्य मात्र
तो बस बन जाऊ एक भक्त उस कान्हा का
और कर दु खुद को उसके चरणों में समर्पित
जब तक वो मुझे नहीं अपना हिस्सा नहीं बनाता।-
देखो प्रकट भए नंदलाला
उत्साहित हैं सब ब्रजबाला
गोपियों संग रास रचाए
मन को भाए माखन प्याला
देवकी का हैं जो दुलारा
यशोदा की आँखों का तारा
पैरो में घूँघूरू, हाथ में मुरली
सर पर सजता मोर-पंखी ताज
ऐसे मनमोहक कान्हा पर
कोई कैसे ना हार जाए अपने प्राण-
तेरी भी मंज़िल वही मेरी भी मंज़िल वही
फिर ग़ुरूर तुझे हैं किस बात इतना…??
पैसे का… साथ ना ले जा पाएगा
महँगे बंगले का… लकड़ियों में जलाया जाएगा
महँगी कार का… अर्थी पर ही ले जाया जाएगा
यार-दोस्तों का… कोई साथ ना आएगा
जब मंजिल भी एक और ख़ाली हाथ जाना हैं
तो चल ले चलते हैं कुछ मीठी यादें
सबसे हँस कर बतलाना
मुसीबत में किसी के काम आना
भूखे को खाना खिलाना
प्यासे को पानी पिलाना
अंधे को रास्ता दिखाना
रोते हुए को हँसाना
बच्चे के संग बच्चा बन जाना
बूढ़े को उसकी अहमियत दिखाना
हर रात सोने से पहले खुदा से अरदास लगाना
कि कल मुझे उठाए तो कोई पाप ना करवाना
मैं एक इंसान हूँ, तो बस अच्छा इंसान ही बनाना…
तेरी भी मंजिल वही मेरी भी मंजिल वही
तो चल, तय करते हैं ये सफर साथ
और बढ़ाते हैं हर जरूरतमंद की तरफ अपना हाथ…
इससे पहले कि मंजिल तक पहुँचे
बाँध कर इन मीठी यादों को गठरी में ले चलते हैं साथ…
© रिंकु जोशी
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एक मैं हूँ, एक तुम हो..
और तुम्हारे इर्द-गिर्द घूमती मेरी दुनियाँ…-