1. हथियार को हमेशा सुरक्षित दिशा में इंगित करें कभी भी किसी पर हथियार न डालें
2. कार्रवाई को खुला रखें और हथियार को तब तक उतारें जब तक आप इसका उपयोग करने के लिए तैयार न हों
3.सभी हथियारों को लोड के रूप में व्यवहार करें
4.लोड किए गए हथियारों को कभी भी परिवहन या स्टोर न करें
5.कभी भी दोषपूर्ण हथियारों का प्रयोग न करें
6.बिना अनुमति के किसी अन्य व्यक्ति के हथियारों को कभी न छुएं
7.हथियार सौंपते या इस्तेमाल करते समय कभी मजाक न करें
8.यदि आप किसी भी समय असुरक्षित व्यवहार देखते हैं जब हथियारों को संभाला जा रहा है या इस्तेमाल किया जा रहा है तो तुरंत बोलें और असुरक्षित व्यवहार को ठीक करने के लिए कार्रवाई करें
9.शूटर को रेंज कमांड का पालन करना चाहिए
10. रेंज अधिकारी द्वारा आदेश दिए जाने के बाद ही शूटर को लेन पर कब्जा करना चाहिए
11.कॉम्पिटिशन के दौरान जब शूटर फायरिंग पॉइंट से बाहर आ रहा हो तो शूटर को रेंज ऑफिसर से अनुमति लेनी चाहिए और हथियार की कार्रवाई खुली रखनी चाहिए
12.जब शूटर फायरिंग पॉइंट पर हो तो उसे दूसरे निशानेबाजों को परेशान नहीं करना चाहिए
13.केवल निर्दिष्ट क्षेत्र में अभ्यास करने की अनुमति है
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wish me 🇮🇳🇮🇳15 aug 🎂🎉
💙Trekking+ outdoor
🌴Adventure trip⛷️×E... read more
गुजरी रात कुछ दिल मे ख्याल फला
की ना हो दोस्त तो क्या हो सिलसिला
तो कोन खुशियो को दुघना बनाता
फिर कोन गमो को सीने से लगाता
किसके साँथ खुद को बाटते
और कोन पुरे हक से डांटता
कही क्या अकेलापन ख़तम होता
कौन बस थोडी और देर के लिए रोकता
कौन बेझिझक सही गलत में टोकता
किसके साथ लम्बा वक्त़ पलो में कट जाता
ना होते दोस्त तो जीवन कितना सिमट जाता
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तस्वीरों में कैद नहीं करने मुझे अब लम्हें
काश जा कर खुद किसी तस्वीर में कैद हो सकूँ,
वरना बिना तुम्हारे इन वादियों, नदियों
इन शामों में कैद करने को रखा क्या है???
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Remember, it doesn't matter how deep into a posture you go.. what matter is who you are when you get there...
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इन्हीं वादियों पे फिदा हूँ मैं,
और लोग कहते है कि आवारा हूँ मैं...
कि बसेरा मेरा, आसरा मेरा अब यहीं,
उस पहाड़ की चोटी और इस झील का किनारा हूँ मैं...-
मैं इश्क़.लिंखू तुम उदयपुर समझना...
मैं सुकुन लिखूं तुम अम्बराई धाट समझना..-
अरावली के असीम स्नेह एहसासों में आज मुझे खोने दो,
स्वंम को भुलाकर इसका अंस होने दो,
बहुत जाग ली शहहरों की चकाचौंध रात में,
मैं अब हन हसीन वादियों में सुकून की नीद मुझे सोने दो..-
अपने सपनो को एक पिटारे मे कैद कर, कुछ पल का सुकून ढूँडने आहिं हूँ, मै अपने बचपन को याद करने, फिरसे अपने पहाड़ आहिं हूँ...
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कुछ तो बात है इन पहाड़ो में, यूं नहीं रुक जाने को दिल चहता है, एक खामोशी सी है इन वादियों में, कभी हम खुद को ढूढंते है इनमें, और कभी बस खो जाने का मन करता है इसकी बाहों में...
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अघुरा किस्सा लिख पन्ने मोड आयी हूं, लगता हैं खुदका एक टुकड़ा पाहाडों पर छोड़ आयी हूं..
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