Rinku Chaudhary Attri  
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Joined 17 April 2018


Joined 17 April 2018
11 APR 2023 AT 1:02

तुमसे रस्म-ए-उल्फत हुई नई नई है
चलो चमन मे कहीं ,
बहार आयी नई नई है।
तसव्वुर में तो बे-नक़ाब हो जाईये जनाब,
हिज़्र के मारे हुए है पर्दा तो उठाईये ज़नाब।

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2 APR 2023 AT 0:27


और हद ना करो तुम अब टूट जाऊंगा
इंतज़ार सदियों का है अब बिखर जाऊंगा

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25 AUG 2022 AT 22:49

वक्त बेवक्त इन आंधियों से सीखा है हमने
बुनियाद मजबूत थी मगर हिलते देखा है हमने।

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15 FEB 2022 AT 0:45

मसला जिंदगी का है काफ़िर
वरना ईमान किसी का बुरा नहीं होता,
देखनी हो मौत किसी की अगर तो
दिवाकर से सबनम की देखो ।— % &

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7 JAN 2022 AT 1:04

देखा नहीं तुमको हमने महसूस किया है
जर्रे जर्रे को आज हमने बेपर्दा किया है ।

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5 APR 2021 AT 20:58

यूं तो जिंदगी ऐसी है कि हर गम छुपाना पड़ता है, लेकिन ख्वाहिशों को पूरा करने में सभी को बताना पड़ता है
Rinku Attri

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18 JAN 2021 AT 13:02

दुनिया का अंदाज ही निराला है यारों,
ख्वाहिश अपनी होती है मरना दूसरों को पड़ता है |
Rinku Attri

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14 NOV 2020 AT 19:34

आओ मिलकर दिया जलाएं अपने धाम
खुशियां आए अपार इस शाम
हे खुशियों का यह त्यौहार
मन में उमंग हजार
नर-नारी सब झूम रहे
राम लखन को सब पूज रहे
त्याग, सील,संकल्प जिनका का नाम
हां ऐसे हैं हमारे प्रभु श्री राम
किरदार है उनका कुछ ऐसा
जिसमें सिर्फ बलिदान है दिखता
पिता के वचन पर बनवास वह चले गए
राज-पाट सुख-वैभव सब त्याग वो चले गए
शबरी के बेर खा कर उन्होंने भेदभाव को मिटाया था
कर रावण का सर्वनाश पाप को धरा से मिटाया था

रिंकू अत्री

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21 OCT 2020 AT 14:57

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।

दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।
#BabaNagaarjun

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5 AUG 2020 AT 21:32

होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥ अस कहि लगे जपन हरिनामा। गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा॥

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