लगे रहने को अभी शाम बाकी है, दिल नही ठहर ता कहीं न किसी का ईमान बाकी है, तोहफे के मोहताज तुम क्यों हो मेहफिल मे जिसके लिए सम्मा जले वो नाम अभी बाकी है, न खा तू ठोकरे दर दर की कुछ कर ध्यान जो ध्यान अभी बाकी है , बेचारा कुछ लोग बड़े इतमिनां से कहते है बना अपनी वो पहचान जो अभी बाकी है, दिल मे जिसके बेईमानी न हो न ऐसा कोई मेहमान बाकी है, कुछ करदे तु नेकी के नाम जो काम अभी बाकी है, लगे रहने को अभी शाम बाकी है