Riken Shah  
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Joined 2 January 2019


Joined 2 January 2019
24 JUL 2021 AT 12:53

"मै क्या कर रहा हूँ " सवाल से लेकर
"मुझे क्या करना चाहिए" के जवाब तक
यही मुश्किल पर खूबसूरत सफर को कहते है
"जिंदगी"

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30 MAY 2021 AT 14:08

बडी मुद्दतो बाद की एक मुलाक़ात थी,
नजरों के मिलने में ही कुछ बात थी,
हर बार की तरह इस बार भी अल्फाज़ कुछ नहीं थे,
बस मानो की दीदार में ही एहसास कुछ और थे,
चाहत तो है की मोहलत से एक मुलाकात हो,
इंतजार तो बस तुम्हारी ये चाहत होने की है,
की जिस रोज यू नजरें फेरकर जाओगे नहीं,
उस दिन ये राबता मुकम्मल हुए बिना रहेगा नहीं ।

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29 MAY 2021 AT 23:15

इस कदर उलझा हूँ वक्त के सवालो में,
कि डर है कही खो ना जाऊ इन ख्यालो में।
पता नहीं कौनसा सफर ले जाए किन मंजिलो में,
कि डर है कही रह ना जाए जिंदगी बस मलालो में।

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9 MAY 2021 AT 1:59

लम्हा-लम्हा, कतरा-कतरा
दर्द में था गुजार लिया,
घंटों भर बस चार दीवारों से बात कर
तन्हाई को था छुपा लिया,
बढते आकडे, थमती साँसो में
जिंदगी को भी तडपते देख लिया,
साँसो से जीने के लिये
हर साँस में मरते हुए देख लिया,
वही साँसों को खरीदने के लिये
अपनो को मजबूर और लाचार बनते भी देख लिया,
बिना कोई बात, बिना कोई मुलाकात
अपनो को अपनो से बिछड़ते देख लिया।
कहा था किसी ने की
जिस रोज कुदरत अपना हिसाब माँगेंगी,
उस रोज बस सवाल रहेंगे, कोई जवाब नहीं रहेंगे ।
है जो अब ये दूष्वार्गी अपने ऊरूज पर,
इसमें उम्मीद के दामन को छोड़ना मत,
मुसीबत के बादल कितने ही क्यों न हो,
सूरज की धूप को कब तक रोकेंगे।

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25 FEB 2021 AT 0:04

बडी मुद्दत से इंतजार किया है मैंने,
इनकार ही सही,
बड़ी शिद्दत से दो लफ्ज़ सुनने की ख्वाहिश की है मैने,
अब भले तुम खामोश ही सही,
बस तुम्हारे एहसास से ही खुशियाँ बटोरनी शुरू की है मैने।

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30 JAN 2021 AT 13:40

If you want to help the poor,
Study the rich.

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26 DEC 2020 AT 23:46

बेवजह दूसरो की तनकीदो को याद किया है,
यूही सब सोचते सोचते तो वक्त झाया किया है,
तुम बूरे हो ,तुम नाकारा हो,
तुम बदतमीझ हो, तुम सबसे बड़ी तौहीन हो ,
इन ही बातो से तो जिंदगी को बेहाल किया है।

कौन यू तुम्हारा पैमाना तय कर सकता है?
कौन तुम्हारा वजूद क्या है ये तुम्हे बता सकता है?
तुम एक बादल हो, औकात ही क्या है तुम्हारी,
मगर याद रखना,
शहर में तूफान लाने के लिए काफी हो तुम।

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21 NOV 2020 AT 15:08

कभी आओगे तो मिलेंगे जरूर,
मगर क्या अपने आप से मिलवाओगे ?
या उनसे जिससे रोज ये दुनिया मिलती हैं ।

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6 NOV 2020 AT 22:12

गिरे हो,
तो उठना भी सीख जाओगे,
उठे हो,
तो चलना भी सीख जाओगे,
चल रहे हो,
तो दौड़ना भी सीख जाओगे,

ये तो वक्त का दस्तूर है जनाब,
यू ही जिंदगी को जिंदगी बनाना सीख जाओगे ।

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12 OCT 2020 AT 22:20

बेवजह दिल पर इतना बोज क्यों रखे हो
दुनिया तक तो ठीक था पर
अब क्या खूद से भी डर रहे हो ?
तो क्या हुआ कि इस बार तुम नाकामयाब रहे,
तो क्या हुआ कि इस नाकामयाबी को दुनिया नाकाबिलियत समझे ,
तुम हौसला बनाए रखना,
क्योंकि वक्त का एक ऊसूल है कि वो बदलता जरूर है,
अब तक उस शामियाने में था
कल तुम्हारे शामियाने में होगा ,
आखिरकार वक्त कयामत का ही तो हिस्सा है
और तुम अपने आप में ही एक कयामत हो,
तुम कयामत बन आओगे जरूर,
उन नाकामयाबी को कामियाबी बनाने
कयामत बन बरसोगे जरूर।

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