ᴛʀɪᴘᴛɪ   (Ͳɾìքէ)
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Joined 15 February 2021


Joined 15 February 2021
2 MAR 2022 AT 18:02

जब ज़रा सी बात पर तुम रूठ जाया करते हो..
तब दिल सह़म सा जाता है,हम बिख़र से जाते हैं..
फ़िर ज़रा सोचो...
हम ख़ुद अंदर ही अंदर रो कर भी तुम्हें कैसे मनाते हैं!

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3 FEB 2022 AT 17:43

तुम ख़ैरियत तो पूँछते,हम जान देने को हाज़िर थे...
तुम ज़रा सी नफ़रत ही करते, हम तो प्यार करने को राज़ी थे!! — % &

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21 JAN 2022 AT 16:11

हम हँस कर सारे ग़म छिपा लेते हैं इस ज़माने से..
क्यूँकि छलकते आँसुओं को भी फ़रेब कहता है ये ज़माना!

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10 JAN 2022 AT 17:32

यूँ छोंड़ दिया था कह कर 'प्यार मेरा इक तरफा़ है'
अब तड़पोगेे उसे देख कर 'जो क़हर बन कर बरसा है!!

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9 JAN 2022 AT 9:36

बेहद तक़लीफ़ देती थी ना तुम्हें हमारी मोहब्बत?
लो देख लो अब नफ़रत के कह़र की बेरंग बनावट!

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5 JAN 2022 AT 17:55

वो बहुत रोयी थी उस रात सिसक-सिसक कर..
जब सब कुछ खो दिया था उसने तड़प-तड़प कर!

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2 JAN 2022 AT 20:31

श़राफ़त से सारे रिश़्ते निभाते-निभाते..
थक गयी हूँ सबको ये बताते-बताते!!

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30 DEC 2021 AT 18:20

देखो बड़े हुनर छुपा रखें हैं इन 'झुमकों' नें भी..
तुम्हारे एहसास से ही शरमा से जाते हैं!

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28 DEC 2021 AT 17:39

सच कह रही हूँ मेरी तन्हाई अब मायूस करती है मुझे..
पर अच्छा ही है इश्क़-ए-गु़नाह से महफ़ूज रखती है मुझे!

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27 DEC 2021 AT 19:16

आईने ने हर बार बंदिशे़ं लगाई हैं मुझ पर
हाँ उस रोज़ किसी ने कुछ फेंका था चेहरे पर!

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