इंसान मिट्टी से बनता है .. परमात्मा को पाने के लिए .. फिर मिटी मे मिल जाता है.. उसमे समाने के लिए .. जो ना हो पूरा सफ़र .. फिर होता है जन्म ... समाने के लिए.. चलता है निरंतर .. जब तक हो ना जाय पूरा .. और इंसान तैयार नहीं इसे समझने के लिए..। ○○○•○○○
मुझसे बात ना करो . पर यू गुम सूम ना बैठो.. बेशक तुम .. जान हो हमारी .. यू जान निकाला ना करो.. देखो जो तुम हो परेशान .. खुल के बताया तो करो.. देखो हम तो निभाते ही है .. कभी तुम भी निभाया तो करो.. बेशक तुम एक बार सही.. पर ..प्यार जताया तो करो...। •••○•••