इंसान मिट्टी से बनता है ..
परमात्मा को पाने के लिए ..
फिर मिटी मे मिल जाता है..
उसमे समाने के लिए ..
जो ना हो पूरा सफ़र ..
फिर होता है जन्म ...
समाने के लिए..
चलता है निरंतर ..
जब तक हो ना जाय पूरा ..
और इंसान तैयार नहीं इसे समझने के लिए..।
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एक इंसान है ...
जो जगहों के साथ इंसान को याद किया करतें है..
और एक हम है...
जो काटों मे भी कलियों को संजोए फिरते है। ...
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एक इंसान थक गया ..
गुनाह के सबूत सम्हालते ..सम्हालते ,
दूसरे इंसान के ..
.
पर वो इंसान थका नहीं ..
गुनाह करके सबूत मागने से ... ।
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अल्फाजों की गिनती मे ..
तुम मुझे गिनना भूल गए..
ख़ामोशी हूं मै ..
तुम मुझे साथ ले जाना भूल गए..
देना था उत्तर जज़्बातों का ..
तुम मोन रहना भूल ..गए..
अल्फाजों की गिनती मे ..
तुम मुझे गिनना भूल गए...।
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कुछ फैसले ..
जो आप ले ना पाए उनको..,
समय पर छोड़ देना ही बहतर है। ..
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मुझसे बात ना करो .
पर यू गुम सूम ना बैठो..
बेशक तुम ..
जान हो हमारी ..
यू जान निकाला ना करो..
देखो जो तुम हो परेशान ..
खुल के बताया तो करो..
देखो हम तो निभाते ही है ..
कभी तुम भी निभाया तो करो..
बेशक तुम एक बार सही..
पर ..प्यार जताया तो करो...।
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बहोत से सवालों का जवाब
सिर्फ़ समय दे सकता है ..
और हम सिर्फ
इंतजार कर सकतें है .. ।
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कुछ लोग ,
कुछ बातें ,
कुछ यादे ,
भुला देने मे ही भलाई है..
ये तीनों चीजें जब भीं आतीं है ..
इंसान को झिंझोर जाती है ... ।
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