Riddhi Butala   (Riddhi Butala)
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Joined 12 January 2018


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11 JUN 2022 AT 18:52

अच्छा लगता था
जब आपकी निगाहें हम पे थीं
न जाने क्यों
चुपके से हम भी आपको निहार रहें थे

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23 MAY 2022 AT 5:02

माहित असता तू माझा नाही
तरी पहाते तुला मी दुरुनी
वाटते तरी तू पहावे मला फिरुनी
तुझ्याच साठी तिथेच असेन तुझीच मी

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30 DEC 2021 AT 20:58

आपलं कधी मन भरून आलं तर
डोळ्यांच्या पापण्या मीचकावयच्या नाहीत ,
नाहीतर डोळ्यांत आलेले पाणी गालावर ओघळेल
हे कळण्या इतपत कधी मोठे झालो आहे
हेच कळाले नाही

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13 AUG 2021 AT 12:25

आज खुद की शिकायत खुद ने की हैं
न जाने क्यों फिर यह बात दिल को चुभ रही हैं
न ही इस जहां में कोई अपना होता न ही पराया
फिर भी क्यों हम लोगों से जूठी उम्मीद रखते हैं

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9 JUL 2021 AT 0:16

जसे माझे विचार योग्य नाहीत ,तसेच ते अयोग्य ही नाहीत
आज ही ही वेळ आहे आणि काल ती ही वेळ च होती

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6 MAY 2021 AT 0:43

आँसू आए हैं निगाहोंसे,कहने लगे हैं
यह मन हैं भावनाओंका
अभी तो सुलझ गए थे
उलझे हुए जिंदगी से
की फिर से ज़िंदगीने उलझाया हैं
फिर भी अब जिंदा हैं आशाओंपे
देखते हैं एक बार फिर से
जिंदगी क्या मोड़ लाती हैं
अपनों की वजह से
और कितना रुला देती हैं

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4 JAN 2021 AT 12:11

भकास आयुष सारे
आता असा वाटत आहे आयुष्यात कोणी आपले नाही
आणि कोणाला आपले बनवून घ्यायची आता इच्छा उरली नाही

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1 JAN 2021 AT 18:46

ना समझ पा रहीं हूं दिल की धड़कन
नाहीं सुन पा रहीं हूं दिल की बात
अब दिल डूबने लगा हैं
हर ढलते हुए दिन के साथ

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19 OCT 2020 AT 19:27

कह रहे हैं सभी आज
आसमान का हैं यह ख़ूबसूरत नजारा
फिर क्यों लगे मुझे
यह तो हैं वहीं बिछड़ा हुआ तारा

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8 OCT 2020 AT 21:08

Be Responsible for your Own Words!!

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