ये समझदारी मुझे धीरे धीरे मार रही है।
मै नदानो वाली एक शाम चाहती हूं
तुम चाहते होंगे पहचान इस जहान में
मै तो मौत भी अपनी गुमनाम चाहती हूं।।-
बगीचे में मेरे
खिल रहे है फूल कई
कलियां मेरी ,अब तेरी
तारीफ की मोहताज नहीं।-
थोड़ी सी ओस ,रात और सब्र इकट्ठा कर लूं
एक चांद को मशहूर होना है,मेरे बगीचे में...-
मुझे परिभाषा नहीं आती ,
बाहरी रंगो की,
मेरी सादगी में तुम मुझे
बेरंग रहने दो।..✨🦋-
हे कान्हा ..
ये लकीरें, ये नसीब
ये किस्मत ,सब फरेब के आईने हैं..
तेरे साथ के एहसास से ही मुक्कमल
मेरी जिन्दगी के मायने है।...❣️-
शहर में एक ठिकाना ढूंढता है
वो जीने का बहाना ढूंढता है।
तुम जिसको फेक आते हो सड़क पर
कोई उसने "ख़ज़ाना" ढूंढता है।।
मै खुदको ढूंढने में खो गई हूं
और अब मुझको जमाना ढूंढता है।-
गुजरते लम्हे भी कुछ कहेंगे
ठहर के लेकिन तू कुछ ना कहना
जो सच हो उसे स्वीकार कर लेना
मुकर के लेकिन तू कुछ ना कहना
उठाई जाएंगी उंगलियां भी
सवाल तोड़ेंगे हद को अपनी
जो सच हो उसे स्वीकार कर लेना
मुकर के लेकिन तू कुछ ना कहना
लगेंगे रिश्ते दाव पर जब
उछाली जाएगी आबरू भी
बिखर के लेकिन तू कुछ ना कहना
तमाम ऐसे भी होंगे जो
तोड़ देंगे तुम्हारी हिम्मत
तो हौसलों से ही काम लेना
"हां" डर के लेकिन तू कुछ ना कहना
दिलाएगी याद वह गली
कुछ सुनाई देगी वहीं सदाएं
उमड़ उठेगा खामोश दरिया
सिहर के लेकिन तू कुछ ना कहना
-
''मै लब हूं..... मेरे बात हों तुम" ,
"मै तब हूं...जब मेरे साथ हो तुम"।-
कभी बेपनाह बरस पड़े
कभी गुम सी है
ये बरसात भी कुछ कुछ
तुम सी है।.....🌧️💧-