कितना बदल गया रास्ता हमारा
आज दूरियों की लम्बी खाई है
बातें बहुत हैं कहनें और सुनने को
किंन्तु कहां किसी के पास टाइम है
जब नयी नयी थी दोस्ती हमारी
रातों जागा करते थे
घंटों बातें करके भी
कुछ मिस किया करते थे
सबकुछ भुला जीवन में
एक दूसरे का साथ दिया करते थे
किन्तुं आज है सबकुछ बदल गया
साथ होके भी हम बहुत दूर है
बातें हजारों होती है करने को
किंतु न तुम बोलते हो न मैं
अजीब खामोशी सी छाई हैं
हमारे बीच ये कैसी कश्मकश आई है
अजीब सी है यें नजदीकियां हमारी
पास होके भी हम कितने दूर है
कभी छोटी छोटी बातें शेयर करते थे
आज बडी़ बड़ी बातें छुपा बैठे हैं
मूखौटा ओढें खडे़ है सब यहां
जब तुम्हीं न हुए अपने मेरे
तो औरो से क्या उम्मीद करूं।।
(ऋचा भारद्वाज)
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बताने को तो बहुत कुछ हैं
किन्तु समझ न आता
इस भीड़ की दुनिया में
अपना कौन और पराया कौन हैं।।
ऋचा भारद्वाज-
तेरी यादों को संजोंए बैठी थी
सुध-बुध गवाएं बैठी थी
मन में उठती पीड़ा को
दिल में दबाएं बैठी थी
तु लौट कर आएगा एक दिन
ये आश लगाए बैठी थी
तेरे साथ बिताए हर पल को
याद बहुत किया करती थी
तु कर गया था वादा मुझसे
लौट कर एक दिन आने का
पर उन वादों ने दम तोड़ दिया
साथ मेरा तुमने छोड़ दिया
वादा अपना खुद ही तोड़ गया
बीच भंवर में मुझे छोड़ गया
अकेले जीवन की परिकल्पना
मुझे झकझोरे जाती है
देख न पाएगीं आंखें अब तुमको
ये सोच आंखें नम हो जाती है
गर्व है फिर भी हम सबको
जो देशहित में तुने
अपना है बलिदान दिया
भारत मां के मान में
अपना सबकुछ तुमने वार दिया।।
(ऋचा भारद्वाज)-
आप लाख कोशिश कर ले
किन्तु जबरदस्ती किसी का
समय और प्यार नहीं पा सकते
इसलिए अपनी कोशिश आप
अच्छे काम करने में लगाएं
और समय की कीमत को समझें
और उसका उपयोग करें।।
(ऋचा भारद्वाज)-
आज जन्म दिवस है उनका
जो जोश से थे भरे हुए
अपनी ओजस्वी भाषणों से
दिल में थे सबके बसे हुए
सर्वस्व अपना लुटा करके
रख भारत माता का लाज लिया
अंग्रजों के चंगुल से मुक्त करा
हमें स्वतंत्रता का उपहार दिया
अंग्रजों के छक्के छुड़ा करके
भारत का मान बढ़ा करके
आजाद हिंद फौज का गठन किया
नव-युवकों में ऊर्जा का संचार किया
मुरझाए हुए उन लाखों मन को
नारों से आपने सींच दिया
कभी जय हिंद का नारा दिया
तो कभी खून के बदले
आजादी देने की बात कही
चल पड़े आप दहाड़ करके
ताकत क़ौम की बढ़ा करके
आजाद हिंद का सपना लिए
प्रण को अपने पूरा किया
देशभक्ति की भावना जगा करके
नव-युवकों को मार्ग दिखा करके
भारत की एक अमिट छाप बना करके
जीवन को अपने न्यौछावर किया
मिट्टी में खुद को मिला करके
हो गए वो अजर-अमर हमारे दिल में
इतिहास के सुनहरे पन्नों में
स्वर्णिम अक्षरों से उनका है नाम लिखा
आज हर हिन्दुस्तानी के दिल में
उनके लिए है अपार प्यार भरा।।
(ऋचा भारद्वाज)
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रातों में रो कर मन को हल्का कर लेते हैं
किन्तु अपनी सिसकियां उन तक न पहुंचने देते हैं
अपनी मुसीबतों को छोटा समझ लेते हैं
उनकी मुसीबतों में साथ हमेशा देते हैं
कभी कुछ मांगा नहीं उनसे प्यार के सिवा
किन्तु उनके पास देने को समय कहां था।।
(ऋचा भारद्वाज)-
कभी-कभी हम बहुत सी बातें करना चाहते हैं
किन्तु उन बातों को कोई सुनने वाला नहीं होता
आंसु उहीं बिखर जाते है गालों पर,
किन्तु उन्हें कोई पोंछने वाला नहीं होता।।
(ऋचा भारद्वाज)-
बेटीयों के होने पर आज भी,
मातम क्यूं छा जाता है,
इस नन्हीं गुड़िया को देख,
दिल क्यूं दुखित हो जाता है।
इस प्यारी न्यारी जान को देख,
क्यूं मन उल्लास से न भर पाता है,
इस नन्हीं सी काया को देख,
क्या जरा प्यार न आता है।
क्यूं इसका रोना सबको नहीं भाता है,
क्यूं इसका इठलाना,
मन को नहीं सुहाता है,
एक बार इस अनुपम छवि को तो देखो।
ये नन्हें से ओंठ और प्यारी सी मुस्कान तो देखो,
यह लालिमा लिए छोटा सा चेहरा तो देखो,
कौतूहल भरे नेत्रों से सबको निहारे जाती हैं,
मासुमियत इसकी फिर भी।
क्यूं मन को लुभा न पाती है,
क्या गलती है इसमें इसकी, ये जान नहीं पाती हैं,
छोटे- छोटे हाथों से सबको बुलाये जाती हैं,
अपनी आने की खुशियां खुद ही मनाये जाती है।
कभी हंसती हैं कभी रोती हैं,
कभी खुद ही गुनगुनाएं जाती है,
कभी हौले से बुदबुदा कर, चुप हो जाती हैं,
फिर सबकुछ भुला खुद में मगन हो जाती हैं।
(ऋचा भारद्वाज)
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आ गई देखो नवरात्रि,
माता रानी है घर आई,
आवभगत करने को आतुर,
मैं पूजा की हूं थाल सजाई।
चरणों में फूल अर्पण करने को,
मेरा मन व्याकुल हुए जाता है,
माता की एक झलक पाने पर,
हिय उमंग से भर जाता है।।
मगन हुआ मन तेरे दर्शन से,
गूंज उठा संगीत घर-आंगन में,
हो उठा रोम-२ मेरा प्रफुल्लित,
आई जो तु मेरे छोटे से घर में।
गूंज उठा जयकारे से घर मेरा,
सब ने मिल तेरा ध्यान किया,
तेरी शुभ आगमन के साथ,
घर में खुशियों का बौछार हुआ।
तेरी जयकारा से माता रानी,
घर की नाकारात्मकता दूर हुई,
और साकारात्मकता का निवास हुआ,
जो तु आई मेरे घर में।।
सबके मन में भक्ति का है ज्योत जला,
नवरात्रि में तुने नव नव रूप धरे,
सारे लिए हुए रुप तेरी माता,
तेरी महिमा का बखान करे।।
आंखों की ज्योति तेरी माता,
मन में उल्लास भर देती है,
तेरी अप्रतिम सौन्दर्य को देख,
पलकें झपक नहीं पाती हैं।।
तेरी प्यारी सी मुस्कान माता,
मन को खुश कर जाती है,
तेरी अनुपम छवि,
मन को विभोर कर जाती है।
(ऋचा भारद्वाज)
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आप हृदय में बसे हुए,
प्रकाश पुंज सा चमक लिए,
ओज जोश से भरे हुए,
प्रेरित करती कविताएं आपकी,
रचनात्मक आपकी कृतियां सारी,
मन में भर देती एक नई उमंग,
वीर रस से भरी हुई कविता आपकी,
सुंदर सटीक सरल कृतियां आपकी,
कानों में घोलती एक मीठी रस,
जोश से लबरेज कविताएं आपकी,
मन में एक नया उमंग जगाती हैं,
जीवन जीने की शैली आपकी,
बहुत ही मन को भाती है।।
सरल तरीके से जीने का ढंग,
दिखलाता आपकी शालीनता हमें,
आपका था एक अलग व्यक्तित्व,
जो सबमें आपको खास बनाता था,
एक अलग छवि आपकी सदा,
हम सबको दिखलाता था,
उत्तम आपकी रचनाएं सारी,
उत्कृष्ट आपकी कृतियां सारी,
वीर रस से भरे हुए,
श्रेष्ठ कवियों में हुए शुमार,
"राष्ट्रकवि" से पहचाने गए,
एक तरफ ओज, आक्रोश, क्रान्ति ,
से भरी पड़ी कृतियां आपकी,
दूसरी तरफ कोमल श्रृंगार रस,
अनगिनत कविताएं है आपकी,
छोटे से गांव में जन्म लिये,
अनेकों भाषाओं का अध्ययन किये,
पद्द्म विभुषण से अलंकृत किये गए,
भारतीय ज्ञानपीठ से पुरस्कृत किये गए,
साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे गए,
फिर भी स्वभाव से सौम्य और मृदुभाषी थे,
मुख मण्डल पर तेज लिए,
प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व थे आप,
क्या ही लिखुं मैं आपके लिए,
इतनी मैं बड़ी हूं ही नहीं,
फिर भी शब्दों के मोती से,
लिखी है ये अनमोल पंक्तियां आपके लिए।।
( ऋचा भारद्वाज)
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