तू काली क्यों हैं ?
क्या , यह सुनती है , तू बार बार ?
रात ने मुस्कराते हुए कहा ,
"इसीलिए मैं शीतल हूं, शांत हूं और शायद... तन्हा ।"
मगर मैं सुकून में हूं, क्योंकि मेरे आने से ही तो ,
सुकून की नींद आती है,
जो हजारों सपनों को बुनती हे,
मैं सपने दिखलाती हूं ।
मैं काली नही , मैं आशा हूं ।
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