Richa Bhatia   (Richa Bhatia)
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Settling the chaos in life through words
Joined 3 September 2017


Settling the chaos in life through words
Joined 3 September 2017
24 APR AT 8:25

I identified you as kin, as one of my own.
You identified me as a HINDU.

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9 APR AT 10:22

I decided not to write you.
My Blank diary,
Unused pen,
Now they hate me.
Like I hate you.

I promised to not write you next time,
Like I promised to not love you.

Next time, i will promise again.
To not write you.

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7 APR AT 23:32

My bleeding hands,
curse me,
abuse me, every second.
For the way I held you.
And I can’t be more proud.

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19 JUN 2023 AT 19:01

चलो आज फिर एक ग़लतफ़हमियों की बैठक लगाते हैं !

(caption)

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11 JUN 2023 AT 13:37

अब की बार लोटा तो
मैं जीत का परचम लहरा के लोटूँगा !!

(Caption)

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12 MAR 2023 AT 0:04

तुझे दुनिया से बेहतर जानना ही अभिलाषा थी मेरी।
तुझे तुझसे भी बेहतर जानना ही बस एक गलती थी मेरी।

(Caption)

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5 MAR 2023 AT 18:36

The abandoned scribbles lying in a corner peacefully,
The completed ones screaming for audience.

When did art become a dog and pony show?

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20 FEB 2023 AT 1:15

शायद तुम बदल चुके हो,
या शायद ये संसार बदल चुका है।

शायद तुम्हारा प्रेम बदल गया है,
या शायद इस संसार में प्रेम करने के तोर तरीक़े बदल गये।

शायद तुम फ़िक्र करना भूल चुके हो,
या शायद बेफिक्र रहना भी फ़िक्र जताने का नया तरीक़ा है।

शायद जज़्बात अब थोड़े कम है,
या शायद जज़्बात दिखाना अब रिवाज में नहीं है।

शायद तुम्हारी नज़रें अब भीड़ मैं मुझे नहीं तलाशती
या शायद मुँह मोड़ लेना भी एक क़िस्म का इश्क़ है।

शायद तुम्हारी पसंद बदल गई है,
या शायद पसंद नापसंद से दूर वो रूहानी मोहब्बत अब चलन में नहीं है।

शायद मुझसे किए वादों के मायने तुम भूल चुके हो,
या शायद ज़माने में प्रेम के मायने बदल गए है।

शायद तुम बदल चुके हो!

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20 NOV 2022 AT 12:54

तू जितना मुझे तोड़ेगा
मैं उतनी मज़बूत बन के उभरूँगी

तू जितना मुझे ज़मीन पर पटकेगा
मैं उतना तेरी नज़रों में ज्वाला बन के चमकूँगी

तू जितना मुझे परखना चाहेगा
मैं सोने के समान उतना निखर के निकलूँगी

क्या सन्मुख मेरे तेरी औक़ात है
मैं हूँ तो तेरा वज़ूद है
मेरी हर कोशिश से ही तो तेरी पहचान है
मैं हूँ जिसने तुझे जन्मा है
तुझे सींचा है
तुझे सच करने को मैंने हर एक पल जिया है
आख़िर तू है क्या

“बस एक सपना मेरा।”

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1 NOV 2022 AT 10:41

अगर सुकून बयां करने को कहा जाए,
तो तुम्हारा नाम लेना क्या गुस्ताखी होगी !

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