सब कुछ शिव की माया है। फूल, पत्थर, मंदिर, मस्जिद, सबमें प्रेम समाया है। मनुष्य काबिल है सबको जोड के रखने में, बस थोड़ा उलझा है, अपने झूठे/नकली किस्सो में। अगर समझ जाएं कि मैं और तू सब एक ही तो क्या ईर्ष्या क्या भय सब संक्षिप्त हो जाएं अभी।
एक नई शुरुआत करनी है। दो मुखी लोगों से ज़रा दो गज दूरी रखनी है। मन में द्वेष नहीं है मगर ख़ुद का सम्मान भी ज़रूरी है। झूठे रिश्ते निभाने के लिए क्या झूठ बोलना मजबूरी है? इंसानियत को कमज़ोरी समझना ये तुम्हारी नादानी है। खोखली तुम्हारी शान एक दिन मिट्टी में मिल जानी है।।
बड़ा समय लगा पर सीख ही लिया खुद को खुद ही गले लगाना खुद ही रोकर चुप हो जाना गंभीर परिस्थितियों में भी मुस्कुराना खुद की नजरों में ऊपर जाना लोगो के बहकावे में न आना अपने मन को पूरी करना खुद को भी सम्मानित करना स्वयं का आंकलन कम न करना डर को हिम्मत में बदलना दिए की रोशनी को कम न समझना सूझ-बुझ से काम लेना चाशनी में डूबी ज़ुबान समझना भरोसा हर किसी पे ज़ाया न करना हिम्मत से आगे बढ़ते रहना आत्मविश्वास को संग-संग रखना खुद के प्रति भी प्रेम-भाव रखना अंधकार में संभालकर चलना स्वयं के निर्णयों पर शक न करना बड़ा समय लगा पर सीख ही लिया।।
कोई मिल जाए खुद जैसा ये खयाल मन से नही जाता है। मदिरा तो नाम से बदनाम है असली नशा तो झूठ में समाता है। पत्थर के है दिल यहां अपना हर कोई अब गैर नजर आता है। अंदर छुपाए कोई, राज़ कितने ये कभी कौन ही समझ पाता है। जो भी कानों से देखा कमबख्त दिल सच उसी को बताता है। भरोसा कुछ पर बेहद किया पर धोखेबाज़ अब पूरा शहर नज़र आता है। ऋचा अग्रवाल
vo ladka hai chup chup kar aansu bahata hai bahar se dikhta sakht hai par andar apne gum chupata hai majbur hai halaton se majbuti ka swang rachata hai arey himmat do use jo pure parivar ka bojh uthata hai
सुकून कहां मिलता है, तेरा चेहरा मेरी आंखों में नीर सा भरता है। बीते पल याद करके कुछ लम्हें खूबसूरत करता हूं, कैसे बयां करूं मैं हर पल तुझे कितना याद करता हूं। उम्मीद में हूं, फिर से हम रूबरू होंगे, संग बैठेंगे और जीवन का संग आनंद लेंगे।।