Richa Agarwal   (जज़्बात, दिल की कलम से।)
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Seeker🔥, Writer✍️ and Psychologist📚🙆😎
Joined 11 September 2019


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Joined 11 September 2019
21 FEB 2023 AT 10:09

सब कुछ शिव की माया है।
फूल, पत्थर, मंदिर, मस्जिद,
सबमें प्रेम समाया है।
मनुष्य काबिल है सबको जोड के रखने में,
बस थोड़ा उलझा है, अपने झूठे/नकली किस्सो में।
अगर समझ जाएं कि मैं और तू सब एक ही
तो क्या ईर्ष्या क्या भय सब संक्षिप्त हो जाएं अभी।

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22 JAN 2023 AT 0:22

एक नई शुरुआत करनी है।
दो मुखी लोगों से ज़रा
दो गज दूरी रखनी है।
मन में द्वेष नहीं है मगर
ख़ुद का सम्मान भी ज़रूरी है।
झूठे रिश्ते निभाने के लिए
क्या झूठ बोलना मजबूरी है?
इंसानियत को कमज़ोरी समझना
ये तुम्हारी नादानी है।
खोखली तुम्हारी शान एक दिन
मिट्टी में मिल जानी है।।

ऋचा अग्रवाल

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22 SEP 2022 AT 2:04

बड़ा समय लगा पर सीख ही लिया
खुद को खुद ही गले लगाना
खुद ही रोकर चुप हो जाना
गंभीर परिस्थितियों में भी मुस्कुराना
खुद की नजरों में ऊपर जाना
लोगो के बहकावे में न आना
अपने मन को पूरी करना
खुद को भी सम्मानित करना
स्वयं का आंकलन कम न करना
डर को हिम्मत में बदलना
दिए की रोशनी को कम न समझना
सूझ-बुझ से काम लेना
चाशनी में डूबी ज़ुबान समझना
भरोसा हर किसी पे ज़ाया न करना
हिम्मत से आगे बढ़ते रहना
आत्मविश्वास को संग-संग रखना
खुद के प्रति भी प्रेम-भाव रखना
अंधकार में संभालकर चलना
स्वयं के निर्णयों पर शक न करना
बड़ा समय लगा पर सीख ही लिया।।

ऋचा अग्रवाल

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22 SEP 2022 AT 1:37

मुस्कुराते हुए चेहरों को कभी गौर से देखना,
क्या पता खुद के दर्द से रूबरू करा दे।

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22 SEP 2022 AT 1:25

कोई मिल जाए खुद जैसा
ये खयाल मन से नही जाता है।
मदिरा तो नाम से बदनाम है
असली नशा तो झूठ में समाता है।
पत्थर के है दिल यहां
अपना हर कोई अब गैर नजर आता है।
अंदर छुपाए कोई, राज़ कितने
ये कभी कौन ही समझ पाता है।
जो भी कानों से देखा
कमबख्त दिल सच उसी को बताता है।
भरोसा कुछ पर बेहद किया
पर धोखेबाज़ अब पूरा शहर नज़र आता है।
ऋचा अग्रवाल

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2 JUN 2022 AT 20:56

ये ज़िंदगी धोखेबाज है,
बिन बताए साथ छोड़ देती है।

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28 MAY 2022 AT 5:50

Ye zindagi hai sahab,

Jab tak hai, khel to khelegi hi

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28 MAY 2022 AT 5:47

vo ladka hai
chup chup kar aansu bahata hai
bahar se dikhta sakht hai
par andar apne gum chupata hai
majbur hai halaton se
majbuti ka swang rachata hai
arey himmat do use
jo pure parivar ka bojh uthata hai

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22 MAY 2022 AT 22:22

सुकून कहां मिलता है,
तेरा चेहरा मेरी आंखों में
नीर सा भरता है।
बीते पल याद करके
कुछ लम्हें खूबसूरत करता हूं,
कैसे बयां करूं मैं हर पल
तुझे कितना याद करता हूं।
उम्मीद में हूं, फिर से हम
रूबरू होंगे,
संग बैठेंगे और जीवन का संग आनंद लेंगे।।

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22 MAY 2022 AT 22:04

to live it, experience it

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