रिचाराज अग्रहरि   (Richaraj Agrahari)
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Richaraj Agrahari
Joined 18 August 2020


Richaraj Agrahari
Joined 18 August 2020

और हम नई सुबह की नई किरण के साथ
उम्मीद लगाए बैठे रहे।



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जब हक केवल आग को जलने का है

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नफरत नहीं है उससे मुझे
पर अब प्यार भी कहा है
क्या भुला चुकी हूं उसे मैं
ये जवाब भी पता कहा है मुझे
यूं तो फासले बहुत है हमारे बीच
पर दूरियों का पता कहा है तुझे
दुआ है इतनी खुदा से मुझे
सलामत रखे हर पल तुझे
क्या पता मैं रहूं या न रहूं
क्योंकि मुझे मेरा ठिकाना पता कहा है।

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हर रास्ते की एक मंजिल होती है,
उस मंजिल को लक्ष्य बना लो
तो रास्ते का सफर आसान हो जाता है।— % &

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कुछ बचपन की खट्टी मीठी यादें थी
तू छोटा मैं तेरी बड़ी दीदी थी ,
बाबा से प्यार मिलता तुझे बेशुमार था,
इस बात से मैं थोड़ा जलती थी,
झगड़े हमने किए खूब साथ में ,
मिलकर खूब धमाल मचाया साथ में,
तो कभी एक दूसरे को मनाया ,
तो कभी एक दूसरे को बचाया ,
तो कभी एक दूसरे को डॉट भी खिलाया,
हमारा बचपन था बड़ा ही प्यारा,
जिसे हमने मिलजुल कर था बिताया,
जीवन में एक सपना था संजोया तूने,
उसे हासिल करके ही दिखाया तूने,
जैसा कि नाम है तेरा घर का रवि ,
तू बन गया कानपुर का जेईई,
हर वो खुशी मिले जिसका है तू हकदार,
तुझे जीवन में सफलता मिले बेशुमार ,
जन्मदिन की तुझे हो बहुत बहुत बधाई,
तू ही तो है मेरा सबसे प्यारा भाई।

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ये कारवां अभी ठहरा है पर रुका नही,
मैं थोड़ी निराश जरूर हूं पर टूटी नही,
अब भी बाकी है अथाह हिम्मत मुझमें,
सबको बहुत कुछ करके हैं दिखाना ,
क्योंकि कल आने वाला है पर आया नहीं।

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उम्मीद जगा दी फिर से
मैं भूल गई थी खुद को
रहती थी डर के साए में
अंधियारों से था नाता जोड़ा
खुशियों से तो था मुंह मोड़ा
तुम आए मेरे जीवन में ऐसे
बिन मौसम हो बारिश जैसे
तुमने मुझ में एक आस जगा दी
खुश रहने की मुझे वजह दी

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तो हम कौन सा उसके इंतजार में बैठे है
🤣🤣🤣🤣

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आज फिर से उसका ख्याल आया ,
वो कैसा होगा मन में सवाल आया ,
सारे बंधन से तो हो गए थे आजाद, ,
आज फिर सिर्फ उसी पे प्यार आया ।

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जिसमें मेरी दुनिया बस्ती थी,
रब ने सजाया सारा शहर था
उसमे मेरा भी एक घर था
फूलो से महका हर कोना था।
चारो ओर खुशहाली थी
फिर आई एक आवाज
खुल गई मेरी आंख
टूटा मेरा ख्वाब था
ये तो बस एक सपना था

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