Ribhu Raison Brahman   (ब्राह्मण)
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Joined 31 July 2017


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Joined 31 July 2017
14 DEC 2017 AT 23:13

ये बात बड़ी पुरानी है,
उस दिन झूम के सावन आया था।
जब उसके होंठो के तिल ने,
मुझसे प्रेम का स्वांग रचाया था।

सर्दी के उस सुर्ख मौसम में,
उसके गालों पे जैसे लज्जा का लाल छाया था।
अपनी इन बर्फ सी सफेद बांहों में लेकिन,
उसने धोखे का खंजर छुपाया था।

पतझड़ का महीना था शायद,
उसने मेरे इश्क़ का मज़ाक उड़ाया था।
पेड़ों से पत्तों की तरह,
मेरी आंखो ने आंसुओं को बहाया था।

वो गर्मी की बेला थी,
जिसने ज़मीर को जगाया था।
उसके पीछे एक साल बर्बाद हुआ,
पर अब साल नया आया था।

कॉलेज में घुसते समय,
दिल को बड़ा समझाया था।
संभल के रहने की बात हुई,
पर उसके पल्ले कहां कुछ पड़ पाया था।

इस बारी आवाज़ थी उसकी,
जिसने हमको झकझोर दिया।
हमारी दिमाग की बत्ती को,
ब्राह्मण, दिल ने फिर से तोड़ दिया।

अब इस प्रेम कहानी को,
हम कभी और बतलाएंगे।
अभी तो नया नया प्यार है हमारा,
जानें कितने किस्से आएंगे।

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13 NOV 2021 AT 7:01

तू आ,
फिर यूंही तोड़ने ही आ।
बाहों में ले और यूं ही छोड़ जा,
हाथों में हाथ वादों को तोड़ने के लिए आ,
तू आ।
मेरी खुशियों को गम में बदलने आ,
शराब छोड़ दी है मैंने,
पीने की वजह बन ने के आ
तू आ।
तू आ,
की मैं फिर जी सकूं,
तू आ की हर रात टुकड़ों मार सकूं,
सुकून बहोत है जिंदगी में आज कल,
थोड़ा दर्द लेके ही सही,
तू आ।
तू आ,
तुझसे टूटने में भी एक मज़ा है,
खुद के लिए नहीं तो मेरे इस गम के लिए आ।
तू आ।

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8 OCT 2021 AT 16:57

मुझे तेरी तमन्नाह न थी, तब तक ठीक था,
अब तेरा मुस्कुराना मुझे सवेरे सा लगता है।
दुनिया रोशन तेरी आंखें की चमक से है जैसे,
हवा सिर्फ तेरे सांस लेने से चलती है।

अच्छा था जब तक,
दिल की क्यारी में चाहत का बीज फूटा नही था,
अब लगता है तेरे उदास होने पर बारिश होती है,
गुलाब तुझे देख, शर्मा कर लाल होते हैं,
सूरज जलता है जलन से कि तू उसके पास नहीं।

मेरा इक तरफा इश्क आफत बना है मेरी,
मैं तुझसे बात करने से भी डरता हूं अब,
तुझे न देखूं तो दिन अधूरा रहता है,
जो देख लूं तो यूं ही रात बीत जाती है।

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8 AUG 2021 AT 1:17

तारीफ भी क्या करूं, मेरे मेहबूब की,
चांद सा निखरता है वो, अमावस में भी।
उसकी हसी से, बहारें आती जाती हैं,
मुर्दे खड़े हो उठते हैं, पायल के शोर से ही।

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28 JUL 2021 AT 3:10

तेरी मदमस्त निगाहों के तीर ज़ालिम,
मुझे रांझा बना, खुद ना बनी हीर ज़ालिम।
जाने कितने काफिर आए, तेरे दर मत्था टेकने,
तू खुद में खोई रही, ना बनी किसी की पीर ज़ालिम।

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17 JUN 2021 AT 21:24

बात याद है, जज्बात याद हैं,
मुझे उसका मुड़कर हल्का मुस्कुराना याद है।
सुना है उसके आशिकों की दावत लगी है उधर,
मुझे उसके नाम का स्वाद याद है।

इश्क याद है, इनायत याद है,
उसकी जुल्फों से होता अंधेरा याद है।
बता रहे थे की इस बरस सरदा गई है जमीन भी,
मुझे तो अब भी उसके होंठों की तपिश याद है।

वादा याद है, इबादत याद है,
हिजर की रात में उसकी आंखों में अक्श याद है।
मैंने माना ज़माना बीत गया देखे उसे,
मुझे अब भी पढ़ी उसकी हर अदा याद है।

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6 JUN 2021 AT 2:19

कुछ उसकी याद भी है,
कुछ मेरे अपने जज्बात भी हैं।
वो मर के भी जिंदा ही है आशिकों में अपने,
मुझमें जान है पर पता नही अब जाना किधर है

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21 MAY 2021 AT 1:07

यूं तोह मैंने कभी जन्नत नहीं देखी,
लेकिन में जन्नत जरूर हो के आया हूं।
वो आई थी मिलने मुझसे यहीं,
मैं उसको अभी अभी छू के आया हूं।

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7 MAY 2021 AT 0:24

तेरी नजरों के घायल हजारों में हैं,
तेरा ज़िक्र आशिकों की बाहारों में हैं।
वजह है कि में यूं नजर झुका कर मिलता हूं तुझे,
सुना है जिन ने भी दीदार किया आज सितारों में है।

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16 APR 2021 AT 19:44

जाने क्या कसर रह गई, अब क्या बाकी है
शायद उनकी मोहब्बत में डूबा एक लम्हा बाकी है।
हिस्से के पाप का हिसाब तोह हो चला ब्राह्मण,
अब शायद उन्हें मूड के देखने की सजा बाकी है।

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