रघुनंदन पौत्र राज  
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@Realism Talks
तुम जलन बरकरार रखो,
हम जलवा बरकरार रखेंगें।
Joined 3 July 2018


@Realism Talks
तुम जलन बरकरार रखो,
हम जलवा बरकरार रखेंगें।
Joined 3 July 2018

ये हमसे ना होगा कि वफ़ा खा के हम थूक दें,
हमने तो एक ज़माने में मिट्टी भी गले से उतारी है।

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इस जालसाज़ी ब्रह्मांड में किसी में तो ईमान निकले,

मैं खुद को कह लूं बुरा भी तो क्या, दोस्त तुम भी तो बेईमान निकले।

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Nation is an Engine,
And you are the fuel of that engine.

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आसमां बादल के इश्क़ में हो गया नीला,
बादल आसमां की इश्क़ में सफेद है।

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वो भी दुनिया की तरह थी,
जल्दी ही बदल गयी।
मैं भी बादलों के तरह था,
बरस कर खत्म हो गया।।

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पता है, तुम भी कभी हमें अपने नजरों से गिरा दोगे,

फिर तुम्हारी नज़रों के लिए हम अपने तेवर को क्यों छोड़े ।

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ब्यान बेहद अच्छे थे पर लाशें वहाँ पे लाख रहे

रक्त शरीर पर पड़ा जमा था पर कपड़े उनके बेदाग़ रहे ।

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गाँव बांटा, शहर बांटा, बेरूबेरी भी हमने खेंच दिए,
जो खेल हमारा हुआ नहीं वो खेल हमने बेच दिए,
बेशक कोशिश रही व्यापार अपना फैलाने की,
और, जो संभल नहीं पाए संसाधन तो रेल भी हमने बेच दिए।

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जागकर रात वो सपने हजार देखता है,

मेरे अंदर जैसे वो कोई कलमकार देखता है,

टूटकर कभी किस्मत के सामने रुकता नहीं हूं मैं,

क्योंकि मेरा बाप मेरी कामयाबी की राह देखता है।

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मैं तुममे आज देखूँगा, तुम मुझमें कल देखना

वक़्त भी मेरा मोहताज़ होगा, तुम ये अगले पल देखना

और आ जाना गर तुम्हारी बग़ावत मेरा गुनाह कबूल कर सके तो,

मैं तुझमें वहाँ शाम देखूँगा और तुम मुझमें नया सहर देखना।

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