Baat itni thi ki tu
bada jaroori hai
Mushkil ye thi ki
paison ki majburi hai...🖤-
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सुबह सुबह मुझे राख मिली सिरहाने पर
ज़रूर रात में कोई ख़्वाब जला होगा 🔥🖤-
हर जगह पर खुदा है
गुनाह करके कहां जाओगे
इंसानों की नज़रों से बच जाओ भले
पर खुदा की नज़रों से कहां बच पाओगे
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मैं एक मामूली कंकड़ सा , तुम एक विशाल पहाड़ प्रिये
मैं बकरी की में में सा हूं, तुम शेर की दहाड़ प्रिये
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है कितना सुकून पेड़ों की छांव में
फिर भी लोग रहते नहीं क्यों गांव में-
एक खिलौना मांगती थी तो पापा
खिलौनों से पूरा कमरा भर जाते थे
फिर पता नहीं क्यों कुछ दिन
पापा काम पर पैदल ही जाते थे
फिर एक बार अपने पसंद की ड्रेस मांग ली
तो ड्रेस के साथ एक सुंदर सा गहना था
पर पापा ने उस दिवाली पर
पुराना कुरता ही पहना था
पापा थोड़े ही हैं वो जादूगर हैं
जो एक मांगो तो हज़ार से जाते हैं
अपने लिए एकदम लापरवाह
पर हर महीने में घर में खुशियों
की तनख्वाह लाते हैं
कोई तो बताए यार,
ये पापा किस दुनिया से आते हैं ♥️
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लग गई घर में आग तो बचा ही क्या है
और बच गया मैं तो समझो जला ही क्या है
अपनी मेहनत से बनाते हैं मुकद्दर अपना
वरना हाथ की लकीरों में रखा ही क्या है-
रंगत मुझपे तेरे इश्क की इस कदर छायी
आंखे खोलूं तो तू बंद करूं तो तू नजर आयी
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