मक़ाम 'फ़ैज़' कोई राह में जचा ही नहीं
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले-
हमने माना के तगाफुल ना करोगे लेकिन
ख़ाक हो जाएंगे हम तुमको ख़बर होने तक
मक़ाम 'फ़ैज़' कोई राह में जचा ही नहीं
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले-
नियाज़ मंद हैं, कुछ ख़ास ही तुम्हारे हम।
दुआ सलाम हमारी अगरचे सब से है।
نیازمند ہیں،کچھ خاص ہی تمہارے ہم۔
دعا سلام ہماری اگرچہ سب سے ہے۔-
چائے صرف چائے نہیں ہوتی
سلیقہ ہوتا ہے.....❤️
تنہائیوں میں خود سے گفتگو کرنے کا..-
मेरा मस्कन मेरी जन्नत को सलामत रखना
मेरे मौला मेरे भारत को सलामत रखना
❤️🇮🇳❤️-
उसे कहना सदा मौसम बहारों के नहीं रहते
सभी पत्ते बिखरते हैं हवा जब रक्स करती है
اُسے کہنا سدا موسم بہاروں کے نہیں رہتے
سبھی پتّے بکھرتے ھیں ہوا جب رقص کرتی ہے-