केवल मज़हब के भरोसे सत्ता पाना सहज होता तो अयोध्या में ऐसी दुर्गति न होती और 400 पार आज यथार्थ होता.उत्तरप्रदेश की जनता ने अतिआत्मविश्वासी सरकार को सही मायने में एकबार आइना दिखाया यही वजह है कि कभी 6लाख से भी ज्यादा मतों से जितने वाले प्रधानमंत्री जी 2लाख के अंतर को भी छू न सके वहीं राहुल गांधी बगल के सीट से 3 लाख से भी ज्यादा अंतर से जीते और अगर अन्य बीमारू प्रदेश जैसे कि बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान में यही हाल रहता तो शायद उनका तख्त भी पलट जाता.इस बार सत्तारूढ़ पार्टी को समझ आया की जनता को मज़हब नहीं नौकरी चाहिए,महंगाई पर नियंत्रण चाहिए, कॉरपोरेट मित्रों के हाथों सरकारी सम्पत्तियों को बेचने से मुक्ति चाहिए जिससे वो आत्मनिर्भर बन सकें.2024 का चुनाव ने एकबार फिर से मृतप्राय हो चुके क्षेत्रीय पार्टियों के आत्मा में जान फूँकी!अखिलेश की सपा ने आजतक के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया,बिहार में चिराग और नीतीशकुमार ने फिरसे अपना परचम लहराया तो दक्षिण में चंद्रबाबू नायडू ने दिखाया कि क्यूँ उन्हें राजनीति में भीष्मपितामह कहते हैं तो बंगाल में दीदी ने एकबार फिर सेंधमारी रोकी.खत्म होती नजर आ रही राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस भी पुनर्जीवित हो गयी और एक मजबूत विपक्ष का आगाज़ हुआ जोकि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिये परिहार्य है.कुलमिलाकर 2024 का चुनाव विगत दो दशकों में सर्वश्रेष्ठ चुनाव परिणाम दिया.
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Reyansh Deepak
(Reyansh Deepak)
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Joined 29 May 2024
5 JUN 2024 AT 9:05
29 MAY 2024 AT 9:30
पेशेवर हो या गैर पेशेवर जिंदगी
कोई किसी का न होता!
सभी बस मतलब के होते हैं!!-
29 MAY 2024 AT 9:20
सतयुग हो या द्वापरयुग दानवों की पहचान सरल थी,
लेकिन कलयुग में तो मानव हीं दानव है फिर पहचानेगा भला कौन!?-
29 MAY 2024 AT 8:59
जो पूर्वजों की विरासत को आगे बढ़ाने के साथ उनकी छोटी-मोटी कमियों को भी दूर करे,वही योग्य कहलाता है.
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