Revati Raman Dev Napit   (✍🏻 REVATI RAMAN)
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Joined 10 May 2018


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Joined 10 May 2018
13 MAY AT 21:12

तूफ़ान के आने पर,
मैं मजबूती से खड़ा रहा।

धूल का एक कण था शायद,
आंखों में जो पड़ा रहा।

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24 SEP 2024 AT 21:41

सब सुन लिया।
कितनी आसानी से फिर,
तुमने मुझे चुन लिया...

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27 JUL 2024 AT 8:57

इत्मीनान से बैठकर, आज अपना उसूल लिखा है..
तेरी हर मर्ज़ी के आगे, बस कबूल-कबूल लिखा है !!

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12 JUL 2024 AT 21:07

हज़ार बातें लिख कर, हज़ार दफा फाड़ देता हूं।
कड़वी यादों के कब्र पर, ऐसे ही मिट्टी डाल लेता हूं ।।

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20 MAY 2024 AT 12:35

सूख गए हैं पत्ते सारे, जन्तु फिरते मारे मारे
खेतों की अनगिनत दरारें, वर्षा तेरा राह निहारे।

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10 OCT 2023 AT 16:45

ज़िन्दगी सबकी ऐसी ही चलती है
पहले पहले खुशियां, बाद में फिर अखरती है।

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29 JUL 2023 AT 9:44

प्रेम के पाठ्यक्रम से
"रीजनिंग" के प्रश्नों को विलोपित कर देना चाहिए।
अधिक मानसिक योग्यता से
प्रेम, पानीपत का स्वरूप लेता है।
और परिवर्तित करता है "समसामयिक" को
"इतिहास" में।

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27 JUL 2023 AT 21:02

वो नफ़ा है।
जो प्रेम में सफल ना हो पाए,
उन्होंने भी तो प्रेम चखा है।
और क्या हुआ जो ले गई सारा समान अपना,
हमने उनकी तस्वीर अपने आंखो में छिपा रखा है।

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26 JUL 2023 AT 20:57

गुनगुनी धूप, कड़क चाय और दिसंबर का महीना,
दहलीज पर बैठकर मैं तुम्हें देखते रहूंगा।
मेरे पास बैठकर तुम मफलर बुनना..

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2 JUL 2023 AT 13:14

झूठ की है दुनिया साली,
सारी दुनियां झूठी है।
जिस नाव पे मुझे बिठा दिया
वो नाव भी थोड़ी टूटी है।
मल्लाहों का पता नहीं,
वो अपना हिस्सा बांट रहे थे।
मुझे खाने का वो पत्तल मिला
जिसको कुत्ते चाट रहे थे।

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