If you don't want every action of yours to fall under a lens
Do not date a writer.
If you don't want every breath of yours to pour out as ink from their pens
Do not date a writer.-
चिड़चिड़ाती अपनी आदतों से,
निरंतर अपने शरारतों से,
एकाएक मेरे लबो से
मुस्कुराहट निचोड़ते मजाकों से,
कभी पकवान , कभी गुलाबो से
खींचता है कोई अपनी ओर ।।
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मेरे घावों का मरहम बनके,
सुबहों के मेरे, शबनम बनके,
मेरी हसियो को रोज़ सींचके
मेरी हाथों में अपनी लकीरें खीचके,
आसुओ के समंदर से हसियो की मोती खोजके,
भुलक्कड़ अपनी खोती सोच से,
हर लम्हा, हर पल मुझे
खींचता है कोई अपनी ओर ।।-
अपने प्यार का इश्तेहार दो
अल्फाज़ो को दूत बना
अपने ख़यालों का मुझे उपहार दो
अपने अभ्यंतर के भावनावों को
मुझसे अंतर ना रखने दो
लफ़्ज़ों के बहारों का हो
या इशारों से हो सहारा
बस उस उल्फत के फ़व्वारे को
चिरकाल ना रुकने दो-
At seventy seven, massages her feet.
Everyday, she
falls in love.-
ख्वाबों की दुनिया मे मुझे किराये पे एक मकान चाहिए
मेरे मन को, मुझ संग आँख-मिचोली खेल रहा वो इत्मिनान चाहिए
प्यार के ईंटों से बने घरों में, जहां हँसियो के देवों का आशीर्वाद हो
छल, कपट, स्वार्थता, उस दुनिया मे कदम रखते ही बर्बाद हों
अपनो की बाहों में लिपटा हर पल हो
शांति की रोशनी में लिपटा हर कल हो
जहाँ सुकून को मैं अपनी मुस्कुराहट से सींचू
अपनो को मुझ तक अपने बर्ताव से खींचू
असलियत की दुनिया से आज मुझे एक विराम चाहिए
ख्वाबों की दुनिया मे बसेरा बसाने का आराम चाहिय ।।-
क्या करूं मै, ऐ ज़िन्दगी ,
मुझे तू एक इशारा तो दे दे
स्वार्थी इस दुनिया से निपटने का
एक छोटा सहारा तो दे दे
परिस्थितियों ने मुझसे मेरे आशावाद है छीना
सीखना होगा मुझे उम्मीदों के बिना जीना ।।
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home
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Home is that which always calls out to you, "come hither"
Home.... -it is the voice of my mother.-
लफ़्ज़ों से दोस्ती मोल लेने की ज़रूरत नही पड़ती,
कभी कभी बातों में उलझाने
निगाहों निगाहों में भी बयाँ होती हैं,
कई सारे ही अफ़साने ।।-
एक लम्बे अरसे के लिए जुदा होने की घड़ी आई
दिल में उस दिन उल्फत ने ली अँगड़ाई
ये सोचके मेरे आँसुओ ने गालों पे चादर बिछाई
तुजसे रुख़सत होने पे ही क्यों बजी मन में वो प्यार की शहनाई ?-
लफ़्ज़ों के ताकत का शायद तुझे अंदाज़ा नही
खबरों का ना सही, लेकिन ऐसा कौन जो अफवाहों का प्यासा नही
कामियाबी की चोटी से समंदर में गिरा दें, ऐसे धक्के हैं ये
मासूम, बेखबर, ग़रीबी का नकाब पहने सिक्के हैं ये
कभी हारे हुए दिल को जज़्बे का तोहफा दे दें
तो कभी सालों के साथी से क्षणभर में खफा कर दें
मुंह से निकलने से पहले इनको परेखा करना,
कहीं बुलायें ना तुमसे "तौबा नही"
लफ़्ज़ों के ताकत को अनदेखा करना,
ये देता तुझे शोभा नही ।।
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